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संपादकीय-12-5-15(आने वाले भूकंप के लिए हम कितने तैयार है?)

संपादकीय-12-5-15 (आने वाले भूकंप के लिए हम कितने तैयार है ?) पिछले भूकंप में हुई बर्बादी के घाव अभी हरे ही थे कि दुबारा धरती काँप उठी. और उसके साथ काँप गया लोगो का कलेजा. नेपाल में जो हालत रहे उसने सभी को डरा दिया है.मंगलवार को भी भूकंप के वही रुआब थे.लोग अपना कीमती साजो सामान छोड़कर मैदान में जमा हो गए.क्योकि ऐसे समय पर सबसे कीमती जान ही लगती है. अब सवाल यह है कि जिस तरह से आये दिन भूकंप आ रहे है ऊपर वाला न करे कोई बड़ा जलजला भारत में आया तो उससे निपटने की क्या तैयारी है? हाँ ये भी सही है की ऐसी प्राकृतिक आपदाओं में जो जान माल के नुकसान होते है उसकी भरपाई होना मुश्किल है.लेकिन ये सोच कर हाथ पर हाथ रख कर तो नही बैठे रहा जा सकता है. ऊपर से ये कटु सच कि भू-वैज्ञानिकों कह रहे है कि नेपाल से बड़ी भूकंप त्रासदी अभी आना शेष है। भारत के संदर्भ में यही बात सबसे ज्यादा चिंतनीय है, क्योंकि भू-वैज्ञानिक कहते हैं कि यह सबसे बड़ा भूकंप होगा, जिससे नेपाल जैसी ही जान-माल की हानि भारत में भी हो सकती है। यह आज आ सकता है या 50 साल बाद, पर इतनी तीव्रता वाला भूकंप आना निश्चित है। यह भूकंप कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, पंजाब और उत्तराखंड में स्थित हिमालय की पहाडि़यों में आने की संभावना है। विशेषज्ञों की मानें तो उत्तर भारत और दिल्ली में इतनी तीव्रता वाले भूकंप से सबसे अधिक तबाही मचेगी, क्योंकि इन हिस्सों में बने भवन सात की तीव्रता से ज्यादा वाले भूकंप सहन नहीं कर सकते। जब लातूर, भुज एवं उत्तरकाशी में भूकंप आए थे, उसके बाद लगा था कि सरकार इस बारे में सोचेगी, लेकिन नतीजा सिफर ही रहा।हमारे यहां का आपदा प्रबंधन कितना लचर है ये हम केदारनाथ त्रासदी में भी देख चुके है. उत्तराखंड की केदारघाटी में जो बाढ़ आई थी, उसका सामना करने के लिए आपदा प्रबंधन को लेकर हमारी तैयारियों की सच्चाई उजागर हो गई।देश में हर साल कई जगहों पर बाढ़ आती है,आँधी आती है और उससे करोड़ों के जान-माल का बड़ा नुकसान होता है। इसे रोकने का कोई इंतजाम नहीं होता, जिससे कमजोर तैयारियों का पता चल जाता है। यह सच्चाई है कि दुनिया में कोई भूकंप को रोक नहीं सकता, पर इसका सामना मजबूती से तो किया ही जा सकता है। हमारे देश में सामान्य आदमी को भूकंप के बारे में नहीं के बराबर जानकारी है। देश का विकास भी भूकंप के खतरों को ध्यान में रखकर नहीं किया जा रहा है।जिस तरह की आपदायें लगातार हो रही है उन्हें देखते हुए अब हमे मुस्तैद हो जाने की जरूरत है,जागरूक हो जाने की जरूरत है. सैफुद्दीन सैफी

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प्रधान संपादक समाचार संपादक
सैफु द्घीन सैफी डॉ मीनू पाण्ड्य
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