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नहीं रहे अटल बिहारी वाजपेई

            जिसकी मौत से ठन जाये...जो जी भर के जी ले... उस अखंड अटल को शत शत नमन.गजब के राजनेता,कवि,शिक्षक,और सच्चे दोस्त थे अटल बिहारी वाजपेई . उनके निधन को लेकर पूरा देश दुखी है. आज हर आम और खास व्यक्ति उन्हें याद कर रहा है. सरल और कवि ह्रदय अटल बिहारी बाजपेयी ऐसे व्यक्तित्व के व्यक्ति थे जिन्हे विपक्ष भी हमेशा इज्जत देता था.सिर्फ इस लिए नहीं की वे उच्चे कद के और ऊँचे व्यक्तित्व के धनी थे बल्कि इस लिए कि वे खुद विपक्ष को सम्मान देते थे. भाषण देते वक्त उन्हें अपनी जुबान पर कंट्रोल रहता था. वे आवेश में भी कभी आपा नहीं खोते थे,उन्होंने कभी सामने वाले को नीचा दिखने वाली राजनीति नहीं की.उन्होंने  विपरीत विचारधारा के लोगों को साथ में लेकर  गठबंधन सरकार बनाई.अपनी आलोचना सुनने का उनमे धीरज था,विपक्षी भी उनकी तारीफ करते थे और उनकी बातो को गौर से सुनते थे.एक बार गलियारे में नेहरू जी की तस्वीर न देख कर उन्होंने सवाल खड़ा किया था और दूसरे दिन ही नेहरू जी की तस्वीर अपनी जगह आ गयी थी.इंदिरा गाँधी को उन्होंने दुर्गा कहा था. जिस शख्स ने नेहरू से लेकर नरसिम्हा राव तक के सामने खड़ा होकर विरोध किया हो,लेकिन आश्चर्य कि उस शख्स का कोई विरोधी नहीं है.सिर्फ इसी लिए क्योकि उन्होंने किसी पर कीचड नहीं उछाला था . हिंदी से उन्हें प्रेम था उन्होंने कई अंतराष्ट्रीय मंच पर हिंदी में भाषण दिया और अपनी राष्ट्रभाषा का मान बढ़ाया.शब्दज्ञान उनका अथाह था.अपनी वाक्पटुता से वे सामने वाले को कायल कर देते थे.गुजरात दंगे के समय उन्होंने नरेंद्र मोदी के लिए कहा था कि अपने राजधर्म का पालन करो, राजा के लिए, शासक प्रजा-प्रजा में भेद नहीं करता. न जन्म के आधार पर, न जाति के आधार पर और न संप्रदाय के आधार पर। हार नहीं मानूंगा, रार नहीं ठानूंगा, काल के कपाल पर लिखता मिटाता हूं, गीत नया गाता हूं....ऐसे साहसी हर दिल अजीज,मानवीय मूल्यों के पक्षधर, अटल जी जरूर आज  हमारे बीच नहीं है,लेकिन उनकी वाणी, उनका जीवन दर्शन सभी भारतवासियों को हमेशा प्रेरणा देता रहेगा। उनका ओजस्वी, तेजस्वी और यशस्वी व्यक्तित्व सदा देश के लोगों का मार्गदर्शन करता रहेगा. 

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प्रधान संपादक समाचार संपादक
सैफु द्घीन सैफी डॉ मीनू पाण्ड्य
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