नई दिल्ली- स्वास्थ्य मंत्रालय थैलेसीमिया और सिकल सेल जैसी खून से जुड़ी गंभीर बीमारियों का इलाज सस्ता करने के लिए राष्ट्रीय नीति तैयार कर रहा है। इसके ड्राफ्ट के अनुसार इन बीमारियों के इलाज में इस्तेमाल होने वाले करीब 10 तरह के उपकरण, 15 से 20 तरह की दवाएं और अन्य कंज्यूमेबल्स को जीएसटी और इम्पोर्ट ड्यूटी से छूट दी जाएगी। इनमें से कई उपकरणों की कीमत तो 40 से 50 लाख रुपए तक होती है। इस महीने के आखिर तक ड्राफ्ट स्वास्थ्य मंत्री को दिया जाने वाला है.अगर मंजूरीमिल जाती है तो पॉलिसी बन जाएगी। थैलेसीमिया एक गंभीर बीमारी है जिसमे एक मरीज के इलाज पर एक साल में दो से ढाई लाख रुपए खर्च हो जाते हैं। इलाज नहीं मिलने पर अाधे मरीज 20-25 वर्ष की उम्र तक दम तोड़ देते हैं। भारत में हर साल 10 से 15 हजार थैलेसीमिक बच्चे जन्म लेते हैं। सिकल सेल के एक मरीज के इलाज पर सालाना एक लाख 75 हजार रुपए तक खर्च होते हैं। इस बीमारी वाले करीब 40 हजार मरीज हर वर्ष जन्म लेते हैं। अभी इस बीमारी से पीड़ित करीब चार लाख मरीज हैं। ड्राफ्ट के अनुसार बीपीएल मरीजों का इलाज मुफ्त किया जायेगा. सामान्य श्रेणी के मरीजों का इलाज रियायती दर पर होगा.बीपीएल का बोन मैरो ट्रांसप्लांट भी मुफ्त होगा। एक बोन मैरो ट्रांसप्लांट पर 15 लाख रुपए तक खर्च होते हैं। थैलेसीमिया और सिकल सेल के प्रति जागरूकता के लिए सामान्य विज्ञान के पाठ्यक्रम में इनसे जुड़ा टेक्स्ट शामिल किया जाएगा। मरीजों के लिए 100 डे-केयर सेंटर का निर्माण भी हाेगा।
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