नई दिल्ली- सुप्रीम कोर्ट ने एडल्ट्री (व्यभिचार) संबंधी कानून की धारा 497 को खारिज कर दिया। शीर्ष अदालत के इस फैसले के बाद अब एडल्ट्री अपराध नहीं है। एडल्ट्री कानून के दंडात्मक प्रावधानों की संवैधानिक वैधता के मामले पर गुरुवार को फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संविधान की खूबसूरती यही है कि उसमें '' मैं, मेरा और तुम सभी शामिल हैं। महिलाओं के साथ असमान व्यवहार करने वाला कोई भी प्रावधान संवैधानिक नहीं है। न्यायमूर्ति मिश्रा, न्यायमूर्ति ए. एम. खानविलकर, न्यायमूर्ति आर. एफ. नरीमन, न्यायमूर्ति डी. वाई चन्द्रचूड़ और न्यायमूर्ति इन्दु मल्होत्रा की पीठ ने कहा कि एडल्ट्री के संबंध में भारतीय दंड संहिता की धारा 497 असंवैधानिक है। धारा 497 में पुरुष को पांच साल तक की सजा का प्रावधान था .धारा ये भी कहती थी कि पति की इजाजत से ग़ैर पुरुष से संबंध बनाये जा सकते है. पति की मंजूरी के बिना पत्नी गैर पुरुष से संबंध बनाती है तो पति गैर पुरुष पर केस दर्ज करा सकता है लेकिन जो पुरुष बाहरी महिला से संबंध बनाता है तो उसकी पत्नी उस पर केस दर्ज नहीं करा सकती थी.
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