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खट्टी मीठी यादो के साथ अलविदा 2018

            आज साल की आखिरी शाम है. कुछ खट्टी मीठी यादो के साथ 2018  भी बीत गया. सालभर ईवीएम, महंगाई, बेरोजगारी, एससी-एसटी एक्ट, राममंदिर, सीबीआई और आरबीआई विवाद, किसान आन्दोलन तथा महिलाओं के प्रति अपराधों जैसे मुद्दे छाये रहे.  राजनीतिक दृष्टि से यह साल बहुत महत्वपूर्ण रहा .वर्ष के आखिरी महीने में हुए लोकसभा चुनाव ने राजनीति के सारे समीकरण बदल दिए.साल भाजपा पर भारी रहा, जिसे सपने में भी उम्मीद नहीं थी कि तीन हिंदी भाषी प्रदेशो से उसका सूपड़ा साफ़ हो जायेगा.वही कांग्रेस के लिए ये साल वाकई संजीवनी साबित हुआ. टूटती सांसे भरती कांग्रेस को एक बार फिर जनता ने सिर आँखों पर बैठाया. इसी साल सुप्रीम कोर्ट के भी कई ऐसे महत्वपूर्ण फैसले आए, जो साल की प्रमुख सुर्खियां बने.   6 सितम्बर को समलैंगिकता पर अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने धारा 377 को रद्द करते हुए कहा कि समलैंगिकता अपराध नहीं है। इसी तरह विवाह के बाद अवैध संबंधों पर सुनाए गए महत्वपूर्ण फैसले में एडल्ट्री संबंधी कानून की धारा 497 को खारिज करते हुए एडल्ट्री को अपराध मानने से अदालत ने इनकार कर दिया .कई प्रदेशो में किसानो को अपना हक़ मिला और उन्हें कर्ज माफ़ी दे गई. सालभर में कई बड़े हादसे भी हुए, दशहरे के अवसर पर अमृतसर में हुए भयानक रेल हादसे ने जनमानस को झकझोर दिया.मी-टू अभियान की तो ऐसी आंधी चली विभिन्न क्षेत्रों के कई दिग्गजों को उड़ा ले गई .घाटी में आतंकी और पत्थरबाज खूनी खेल खेलते रहे तो राज्यपाल शासन के दौर में आतंकियों के सफाये का व्यापक अभियान भी चलता रहा, खेल जगत में कुछ नई प्रतिभाएं उभरकर सामने आई ,तो कुछ बड़ी हस्तियां सदैव के लिए हमारा साथ छोड़ चिरनिद्रा में लीन हो गई।इस साल को शादी का साल कहा जाये तो अतिशियोक्ति नहीं होगी , जिसमे ईशा अंबानी,दीपिका और रणवीर,प्रियंका चोपड़ा और निक जोंस,सोनम कपूर और आनंद आहूजा की शादी काफी चर्चित रही .इसके साथ ही इसी साल कई साहित्यक  और राजनैतिक जगत की हस्तियां हमेशा के लिए हमसे जुदा हो गयी.जिसमे अभिनेत्री श्रीदेवी ,रीता भादुड़ी,कवि गोपाल दास नीरज,पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई,एम् करुणा निधि जैसी हस्तियों को कभी नहीं भुलाया जा सकता है. 

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प्रधान संपादक समाचार संपादक
सैफु द्घीन सैफी डॉ मीनू पाण्ड्य
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