भोपाल। ( सैफुद्दीन सैफी)प्रशासन के द्वारा हथियार रखने की एक समय सीमा बनाई गई है लेकिन न तो समय का कोई ख्याल है,और न ही कोई रिकॉर्ड बनाया गया हैं। सेफ कस्टडी मे हथियार रखने के लिए डीलर्स मनमाना किराया वसूल रहे है, जबकि शासन ने इसकी 200 रूपय फीस तय कर रखी है, इसके बाद भी एक साल मे आर्म्स डीलर 1 हज़ार रूपय वसूल रहे है। यानी 800 रूपय ज़्यादा। यह खुलासा राजधानी मे संचालित आर्म्स डीलर कि 12 दुकानो कि जांच के लिए गठित कि गई टीम कि एक रिपोर्ट मे हुआ है। इसकी शिकायत कलेक्टर सुदाम पी खाड़े को ओपी यादव के बेटे ने दर्ज कराई थी। उसने शिकायत मे बताया था कि इंदौर बंदूक घर मे उसको पिता कि रिवाल्वर सेफ कस्टडी मे रखवानी थी। इसके लिए एक हज़ार रूपय किराया मांगा जा रहा है। इस शिकायत कि जांच के लिए कलेक्टर खाड़े ने टीम बनाई और शहर कि 12 आर्म्स डीलर कि जांच कराई। इसमे पता चला कि कोई भी डीलर रिकॉर्ड मेंटेन नहीं कर रहा हैं। और न ही सेफ कस्टडी मे रखे हथियार कि कोई जानकारी दे रहा है। सेफ कस्टडी मे हथियार रखने के लिए किस व्यक्ति से कितना रूपय लिया गया है, इसका भी रिकॉर्ड डीलर्स प्रशासन के जांच अधिकारियों के सामने पेश नहीं किया गया।
प्रशासन को जानकारी नहीं दी,
सेफ कस्टडी मे एक साल के लिए हथियार को रख सकते है। उससे ज़्यादा समय के लिए जिला प्रशासन की अनुमति लगती है। यह भी 6 महीने से ज़्यादा की अनुमति नहीं दी जा सकती। इससे ज़्यादा समय की अनुमति राज्य प्रशासन द्वारा दी जा सकती है। जबकि कलेक्टर द्वारा गठित की गई जांच टीम ने शहर के अकबर आर्मरी के यहाँ पर 31 दिसंबर 1985 की स्वर्गीय बहादुर खान के वारिस शहादत खान द्वारा जमा कराई गई, एक एमएम गन। स्वर्गीय देवीलाल पटेल के वैध वारिस मोहनलाल पटेल को, 17 मार्च 1986 को स्वर्गीय मुस्तफा अहमद के वारिस सिराज उद्दीन कुरैशी और उसके पश्चात फौरी तौर पर कई ऐसे शस्त्र जिनकी समय सीमा सेफ कस्टडी मे जमा कराये 30 साल से ज़्यादा हो गई है इसकी जानकारी प्रशासन को नहीं दी गई। जांच मे पता चला है कि आर्म्स डीलर के यहाँ पूर्व मुख्यमंत्री और कई सरकारी अफसरो के रिश्तेदारों के हथियार सेफ कस्टडी मे जमा है। अवैध तरीके से हथियार दुकानों मे रखे गए है। इसकी जानकारी भी प्रशासन को नहीं दी गई है। हथियारों कि जानकारी न देते का कारण पूछा तो बताया गया कि वारिस उठाने नहीं आते हैं। इसी तरह इंदौर बंदूक घर कि जांच मे यह बात सामने आई है कि यहाँ पर हथियार सेफ कस्टडी मे जमा होना बताया गया था, लेकिन जांच के दौरान 1 जनवरी 2018 से 31 दिसंबर 2018 तक एक साल के भीतर न तो कोई भी हथियार ईश्यू होना बताया गया और न ही जमा होने की कोई जानकारी दी गई।
जिला प्रशासन को चाहिए कि जो आर्म्स डीलर नियमो के परे जा कर मनमाने तरीके से कार्य कर रहे है, उनके खिलाफ जिला प्रशासन सख्त कार्यवाही करे और अगर कोई आर्म्स डीलर नियमो कि अनदेखी मे लापरवाही बरत रहा है तो उसकी शस्त्र दुकान का लाएसेंस निलंबित किया जाना चाहिए