भोपाल।(सुलेखा सिंगोरिया) करोद स्थित लक्ष्मीनारायण गल्ला मंडी मे हुआ 10 करोड़ का धान खरीदी घोटाला करने का मामला प्रकाश मे आया है। जिन अधिकारियों की ज़िम्मेदारी थी। उन्ही की मिलीभगत का नतीजा किसानो को अपनी मेहनत की कमाई खोकर चुकाना पड़ा। यदि अधिकारियों ने लापरवाही नहीं बरती होती तो, 400 किसानो की मेहनत की कमाई व्यापारी हड़प नहीं कर पाते। मंडी अधिकारियों के हौसले इस कदर बुलंद है। कि उन्होने घोटाला करने वाले तीन मे से दो व्यापारियो मे आपस मे मिलकर उन्हे कार्रवाई से भी बचा लिया। यही वजह है कि करीब दो महीने चली जांच के बाद भी तीन मे से एक व्यापारी के खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज कराया गया हैं। ऐसे मे किसानो ने मंडी सचिव प्रदीप मलिक पर व्यापारियो से मिलीभगत के आरोप लगाए हैं। दरअसल, आरोपी व्यापारी सियाराम इंटरप्राइजेज़ और महावीर ट्रेडर्स के संचालक किसानो से धान खरीद कर मंडी स्थित पशुल ट्रेडर्स के गोडाउन मे रखने थे। किसानो के चेक बाउंस होने का खुसाला 12 मार्च को हुआ, बावजूद इसके उक्त गोदाम से 25 मार्च तक खरीदी गई, धान कि बिक्री होती रही। लेकिन सचिव की और से कोई कार्रवाई नहीं की गई। पूरे मामले मे अधिकारियों की लापरवाही का आलम यह रहा की सियाराम इंटरप्राइजेज़ और इनके सहयोगी प्रीतिनिधि व्यापारियो ने भोपाल के अलावा विदिशा, रायसेन और जिले के औबेदुल्लागंज, मंडीदीप और सीहोर जिले के 400 सौ से अधिक किसानो की 10 करोड़ से अधिक की धान खरीदी। इसके लिए सियाराम इंटरप्राइजेज़ के संचालक आशीष गुप्ता ने रायसेन जिले मे मोतीलाल राजेंद्र पटेल फर्म को धान खरीदी के लिए खुद ही अधिक्रत कर दिया था। उसके लिए सियाराम इंटरप्राइजेज़ ने रायसेन मंडी सचिव उमेश बसेड़िया को फर्म के लेटर पेड़ पर लिखकर दिया था।
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