भोपाल।(सुलेखा सिंगोरिया) राजधानी शहर लगता हैं झीलों के साथ-साथ समस्याओ का भी शहर बनता जा रहा हैं। कुछ समस्याए ऐसी है जिस पर बात तो होती है लेकिन कोई हल नहीं निकलता और कुछ समस्याओ पर तो बात ही नहीं होती हैं।
समस्या- गर्मी के शुरू होते ही शहर की एक बड़ी आबादी पानी के संकट को झेल रही हैं। पानी की परेशानी पर सिर्फ कागजी प्लान ही बने, उन पर अमल नहीं किया गया।
समस्या- वही दूसरी और स्ट्रीट डॉग की समस्या जो अभी भी एक गंभीर समस्या बनी हुई हैं। शहर मे कुत्ते के द्वारा जानलेगा हमले के बाद भी अभी भी सड़कों पर कुत्तो की संख्या मे कोई कमी नहीं आई हैं। और न ही नगर निगम वालों की लापरवाही मे। संभागायुक्त की पहल पर एक बैठक हुई, बैठक मे चार शेल्टर होम बनाने, एबीसी सेंटर की व्यवस्था सुधारने जैसे कई फैसले हुये लेकिन निर्णय सिर्फ कागजो से बाहर निकल कर नहीं आए।
समस्या- स्वच्छ भारत अधियान के चलते भोपाल स्वच्छ सर्वे मे देश के दूसरे नंबर पर था और अब खिसक कर 19वें पर आ गया हैं। शहर मे न तो डोर टू डोर कचरा कलेक्शन की व्यवस्था तरीके से चलाई जा रही हैं और न ही कचरे का सेग्रीगेशन हो रहा हैं। गलियो मे झाड़ू भी नही लग रही हैं। शहर मे पांच ट्रांसफर स्टेशन शुरू हो गए। और एक जून से छठवा स्टेशन भी शुरू हो जाएगा।