भोपाल।(सुलेखा सिंगोरिया) ई-टेंडर घोटाले मे सोरठिया वेलजी एंड रत्ना कंपनी को टेंडर दिलाने के बदले मे माइल स्टोन कंपनी के संचालक मनीष खरे को 1 करोड़ 23 लाख की दलाली मिली। ईओडब्ल्यू को जांच मे प्रमाण मिले थे कि खरे टेंडर मे टेपरिंग कि जिसके चलते उसको गिरफ्तार कर लिया हैं। बुधवार को उसे विशेष न्यायाधीश संजीव कुमार पांडे की अदालत मे पेश किया गया। जहां से उसे दो दिन के पुलिस रिमांड पर भेज दिया गया। आरोप है कि मनीष ने ऑस्मो आइटी सोल्यूशन कंपनी के वरुण चतुर्वेदी, विनय चौधरी और सुमित गोलवलकर के साथ मिलकर टेंडर मे टेपरिंग कर, बड़ौदा कि सोरठिया वेलजी कंपनी को जल संसाधन विभाग का 105 करोड़ का टेंडर दिलवाया हैं। जिसके लिए 1 करोड़ 23 लाख दलाली के तौर पर लिए थे। करीब 22 लाख नगद और एक करोड़ 1 लाख रूपय बैंक खाते मे ट्रांसफर किए गए थे। जब टेंडर निरस्त हुये तो मनीष ने खातो कि राशि कंपनी को लौटा दी। मनीष आईआईटी कानपुर का छात्र रह चुका हैं। वह 2016 मे ऑस्मो आईटी कंपनी के संपर्क मे आ गया। धीरे- धीरे से मनीष ने ऑस्मो आईटी कंपनी को क्लाइंट देना शुरू कर दिया। इऑडब्ल्यू कि पूछताछ और जांच मे सामने आया है कि मनीष ने सोरठिया वेलजी सहित अन्य कंपनियो को ऑस्मो आईटी कंपनी के साथ मिलकर टेंडरो मे टेंपरिंग करवाकर कुल तीन टेंडर दिलवाए। बताया जा रहा है कि जल संसाधन विभाग का टेंडर नंबर 1044 मे सोरठिया वेलजी एंड रत्ना कंपनी चौथे नंबर पर थी। इस टेंडर मे टेंपरिंग से पहले न्यूनतम बिड़ वेल्यू 116 करोड़ थी, जिसे बदलने के बाद सोरठिया वेलजी पहले पायदान पर आकर एल-1 हो गई और टेंडर हासिल कर लिया। इसी तरह टेंडरो मे गड़बड़ी कर दो अन्य टेंडर और मनीष ने दिलवाए।
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