भोपाल।(सुलेखा सिंगोरिया) जिला योजना समिति अधिनियम कि जिस धारा 7 के अंतर्गत समितियों के अधिकार खत्म किए गए थे। उन्हे लौटने के लिए अधिनियम मे बदलाव का प्रारूप बना लिया गया हैं। कैबिनेट से मंजूरी के बाद विधानसभा मे पेश किया जाएगा। राज्य स्तर पर बने अधिकारी का भी विकेन्द्रीकरण होगा। कॉंग्रेस सरकार प्रभारी मंत्री के साथ-साथ कलेक्टर,कमिश्नर समेत एसडीएम तक को वित्तीय अधिकार देने कि तैयारी कर रही हैं। तत्कालीन पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने सत्ता संभालते ही एक जनवरी 2004 मे जिला योजना समिति के अधिकारी को स्थगित कर दिया। अब उन्ही को लौटाया जाएगा। जिला योजना समिति मे कामकाज के लिहाज से करीब 29 से 30 विभागो का दखल रहता हैं। इसके ही अधिकारो के विकेन्द्रीकरण के लिए अंतरविभागीय कमेटी का गठन किया जा रहा हैं। जो यह तय करेगी कि कितने अधिकार दिये जाये। इसमे करीब 6 माह तक का समय लग सकता हैं। इसलिए तब तक यह प्रयास किया जा रहा हैं। कि एक जनवरी 2004 के स्थगन आदेश को रद्द कर दिया जाए। शनिवार को इस बारे मे योजना विभाग और वित्त विभाग के चर्चा कर ली हैं। सोमवार को इस पर फिर बात होगी। राज्य सरकार जिला सरकार के अधिकार बढ़ाने को सैध्दातिक सहमति दे चुकी हैं।
इससे क्या फायदा होगा......
जिला सरकार पावर फुल होती हैं। तो सड़क,नाली, पार्क समेत अन्य कामो के टेंडर से लेकर विकास, दवाओ के टेंडर खरीदी और तबादले के काम जिलो मे ही हो जाएगे। प्रभारी मंत्री, अधिकारी व विपक्ष के विधायक बैठक करके इसे तय करेगे। इसके लिए राज्य स्तर पर आने कि ज़रूरत नहीं होगी। जिला तबादला बोर्ड भी प्रभावी हो जाएगा।