भोपाल। (सुलेखा सिंगोरिया) प्रदूषित हवा के मामले मे मध्यप्रदेश छठवे नंबर पर हैं। विश्व पर्यावरण दिवस पर सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरोमेंट की ओर से जारी’ भारत की पर्यावरण रिपोर्ट 2019 मे खुलासा हुआ हैं कि वर्ष 2017 मे म॰प्र॰ मे 83 हज़ार 45 मौतों का कारण दूषित हवा मे सांस लेना था। और वही 3116 लोगो को वायु प्रदूषण का शिकार होने के कारण विकलांगो का जीवन जीना पड रहा है। यही वायु के इस प्रदूषण को नियंत्रित कर लिया जाए तो मध्य प्रदेश के आम आदमी की जीवन की औसत प्रत्याशा 1.9 साल बढ़ाई जा सकती हैं। यही मध्य प्रदेश से भी बेकार हालत बिहार, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल की हैं। वायु प्रदूषण का सबसे ज़्यादा असर ओंच साल से छोटे बच्चो पर पड़ता हैं। देशभर मे के कारण पाँच साल से कम उम्र के 1,01,788 बच्चो की मौत वायु प्रदूषण से हुई हैं। जिसमे से 54,893 लड़कियां और 46895 लड़के थे। वही 5 से 14 साल तक के 7234 बच्चो की मौत हुई थी, जिसमे से 4125 और लड़के 3109 लड़के थे। बाल मृत्युदर से इसकी तुलना की जाए तो बच्चो की हजारो की मौत मे से 8500 मौत का कारण प्रदूषण होता हैं।
सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल.........
सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल के मामले मे मप्र को 100 मे से 52 अंक दिये गए हैं। गरीबी और भूख से मुक्ति स्वच्छ पेयजल, स्वच्छ पर्यावरण, बेहतर इलाज जैसे 16 लक्ष्य तय किए गए थे, देश मे सबसे बेहतर स्थिति 69 अंक के साथ केरल और हिमाचल प्रदेश की हैं, जबकि सबसे बेकार हालत उत्तर प्रदेश और बिहार के हैं