भोपाल। (सुलेखा सिंगोरिया) मप्र राज्य सहकारी विपणन संघ (मार्कफेड) मे बीते दिनों कंप्यूटर प्रिन्टर और यूपीएस की 12.50 लाख रूपय की खरीदी प्रक्रिया मे हुई गड़बड़ी की जांच शुरू हो गई हैं। जांच मे कंप्यूटर व अन्य उपकरणो की खरीदी के ऑर्डर देने से लेकर सामान प्राप्त करने की पूरी ऑडिट ट्रेल पर फोकस होगा। देखा जाएगा की सामान ऑर्डर करने से प्राप्त करने के नियमो का कहाँ उल्लंघन हुआ और इसके लिए कौन जिम्मेदार हैं? वित्त नियंत्रक ने मार्कफेड की खरीदी पर सवाल उठाते हुए भुगतान पर रोक लगाई थी। वित्त नियंत्रक ने मार्कफेड एमडी को की शिकायत मे लिखा था कि 12.50 लाख कि खरीदी के लिए एकमुश्त प्रशासकीय अनुमोदन लिया गया, लेकिन जैम से सामग्री का क्रय करते समय इसे चार हिस्सो मे बाँट दिया। मप्र मे लागू भंडार क्रय नियम 2016 के प्रावधानों के तहत प्रशासकीय अनुमोदन मे दी गई मात्रा कि एकमुश्त खरीदी करना अनिवार्य है। मार्कफेड मे कंप्यूटर सप्लाई करने वाले मेसर्स साई बाबा इलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम के बिलो कि जांच के दौरान प्रथम द्रष्ट्या पाया गया कि इसमे नियमो का पालन नहीं किया गया। इसमे खरीदी प्रक्रिया मे शामिल कंप्यूटर कक्ष प्रभारी सत्येंद्र सिंह कि भूमिका संदिग्ध रही। बार-बार ऑडिट ट्रेल मांगे जाने के बावजूद उन्होने जैम से खरीदी के संबंध मे कोई प्रमाण नहीं दिया हैं।
|