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करोड़ो के घोटाले की जांच अधिकारी के तबादले से फिर अटकी जांच।

भोपाल।(सुलेखा सिंगोरिया) डेढ़ साल से चल रही जांच अभी की अटकी हुई हैं। आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओ के वेतन के नाम पर दस करोड़ रूपय का चूना लगाने वाले महिला बाल विकास विभाग के 14 अधिकारियों और कर्मचारियो के खिलाफ जारी विभागीय जांच एक बार फिर रुक गई हैं। विभाग के उपसचिव अभय वर्मा के तबादले के चलते ऐसा हुआ हैं। अगस्त 2017 मे सामने आए इस घोटाले मे भोपाल की 8 परियोजनाओ मे सीडीपीओ एवं बाबुओ की मिली भगत से आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओ के वेतन और आंगनवाड़ी भवन के किराए के नाम पर लगभग दस करोड़ रूपय निकाल लिए गए थे। इससे पहले जांच अधिकारी छोटे सिंह के ट्रांसफर के चलते भी जांच प्रक्रिया दो माह तक रुकी रही थी। अभय वर्मा द्वारा जांच प्रक्रिया शुरू करने के कुछ समय बाद ही उन्हे चुनाव मे डयूटी के लिए बिहार भेज दिया गया था। उनके वापस आने के बाद जांच दूरी होने की संभावना बनी थी लेकिन सरकार ने पिछले शनिवार को उन्हे आगर-मालवा का कलेक्टर बना दिया हैं। घोटाले मे भोपाल के 8 सीडीपीओ एवं 6 बाबू शामिल थे। पूरे एक साल तक चली अलग-अलग एसटीआर की जाँचो के बाद होशंगाबाद के एक बाबू की मदद से घोटाले के सबूत हाथ लगे थे। इससे पहले विभाग के फाइनेंशियल एड्वाइजर राजकुमार त्रिपाठी और संयुक्त संचालक अपनी जांच मे किसी भी घोटाले से इंकार कर चुके थे। तत्कालीन आयुक्त पुष्पलता सिंह के कड़े रवैए के चलते ही यह मामला सामने आ पाया था। जानकारो का कहना है की इन अफसरो ने जिस तरह का अपराध किया है उस आधार पर इन्हे तत्काल बर्खास्त किया जा सकता हैं।

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प्रधान संपादक समाचार संपादक
सैफु द्घीन सैफी डॉ मीनू पाण्ड्य
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