भोपाल।(सुलेखा सिंगोरिया) एमपी नगर जॉन-1 और जॉन-2 मे कुल 736 पेड़, इनमे से 230 कांक्रीट से ढंके हुये हैं। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के द्वारा 2003 मे दिए आदेश के कि पेड़ो के एक मीटर के दायरे मे किसी भी तरह का पक्का निर्माण नही किया जाएगा। इसके बावजूद भी सरकार क्यो पेड़ो कि जान लेने पर तुली हुई हैं। वन विहार के पूर्व निर्देशक डॉ॰ सुदेश वाघमारे ने एनालिसिस के दौरान कहा कि- कई बार हम और सोचते है कि ज़रा सी बारिश तूफान मे पेड़ कैसे गिर जाते हैं? इसका जवाब जानना है तो एमपी नगर कि सड़कों पर आइये। क्या आपने कभी सोचा इतना बड़ा पेड़ आखिर सूख कैसे गया? वजह साफ हैं, निर्माण एजेंसिया ने सड़क बनाते समय पेड़ो को सांस लेने के लिए रत्तीभर भी जगह नहीं छोड़ी हैं। कांक्रीट भी ऐसे बिछाया जैसे पेड़ो से उनकी कोई पुरानी दुश्मनी हो। पानी जाने के लिए एक इंच जगह भी नहीं छोड़ी हैं। ऐसे मे पेड़ कैसे सांस लेंगे। जॉन-1 जॉन-2 मे कुल 736 पेड़, इनमे से 230 कांक्रीट से ढंके हुये हैं। शहरो मे कांक्रीट की सड़कों के बढ़ते दायरे के बीच सरकारी सिस्टम का रवैया हरे भरे पेड़ो के लिए इतना बेपरवाह कैसे हो सकता हैं। हरियाली के लिए पहचाने जाने वाले इस शहर ने हाल ही 46 डिग्री की जानलेवा तपिश झेली हैं।
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