भोपाल।(सुलेखा सिंगोरिया) पिछले दो साल से निजी स्कूलो मे पढ़ने वाले बच्चो को प्रबंधन द्वारा स्कूल से यह कहकर निकाला जा रहा हैं कि जिस स्कूल मे उनका एडमिशन हुआ था, वह तो बंद हो गया हैं। अब परिजन अपने बच्चो के भविष्य के लिए शिक्षा विभाग के चक्कर काट रहे हैं। दूसरी तरफ अधिकारियों का तर्क है कि इस मामले ने कोई कार्रवाई करने के अधिकार हमारे पास नहीं हैं। कोलार मे रहने वाले राजेश ओकर के पाँच साल के बेटे को 2016-17 मे कोलार के ही स्प्राउटस स्कूल मे प्रवेश मिला था। स्कूल प्रबंधन ने इस साल पुराने स्कूल को बंद करके नया आकृति इन्टरनेशनल स्कूल खोल लिया हैं। अब प्रबंधन का कहना हैं कि आपके बेटे को आरटीई के तहत स्प्राउटस स्कूल मे प्रवेश मिला था, जिसे आकृति इन्टरनेशनल स्कूल निरंतर नहीं किया जा सकता हैं। राजेश ने फिर आरटीई मे आवेदन दिया लेकिन कोई स्कूल नहीं मिला। ऐसे ही कई परिजनो के अपने बच्चो के भविष्य के लिए स्कूल प्रबंधनों से गुहार लगाई लेकिन किसी ने नहीं सुनी। अब परिजनो ने बाल आयोग और जिला शिक्षा अधिकारी से शिकायत की हैं।
ब्रजेश चौहन, बाल विभाग, सदस्य- आयोग के पास कई जिले से इस तरह की शिकायते आई हैं। जिसमे स्कूलो ने आरटीई के बच्चो को स्कूल से बाहर कर दिया हैं। जब की वह नाम बादल कर स्कूल चला रहे हैं। राज्य शिक्षा केंद्र के अधिकारी इस बारे मे कोई भी स्पष्ट जानकारी देने से बच रहे हैं। ऐसे मे सवाल यह उठता हैं कि आरटीई के तहत प्रवेश पाने वाले इन बच्चो की पढ़ाई छूटने का जिम्मेदार कौन हैं?