भोपाल।(सुलेखा सिंगोरिया) फैमिली प्लानिंग एसोसिएशन ऑफ इंडिया की ओर से आयोजित सेक्सुल एंड रिप्रोडक्टिव हेल्थ एंड राइटस फॉर ऑल विषय पर बोले डॉ॰ सत्यकांत त्रिवेदी। उन्होने कहा आज हम सेक्सुअलिटी को लेकर बात कर रहे हैं.... लेकिन इसकी शुरुआत स्कूल से ही करनी होगी। किशोरी को इसका बायोलॉजिकल बेसिस समझाना होगा। हमारे घरो मे आज भी सेक्स अवेयरनेस के बारे मे बात नहीं की जाती हैं। बच्चो के पहले टीचर पैरेंटस हैं। पैरेंटस खुद झिझकेंगे तो बच्चो के सवालो का जबाव कौन देगा। किशोरावस्था एक्सपेरिमेंटल एज होगी हैं। इस उम्र मे शरीर के साथ मानसिक तौर पर भी बदलाव आते हैं ऐसे मे ज़रूरी हैं की हम बच्चो की ज़्यादा से ज़्यादा सेक्स अवेयरनेस के बारे मे बताए। ताकि वो किसी घटना का शिकार नहीं हो। डॉ॰ सत्यकांत त्रिवेदी ने बताया कि स्कूल - कॉलेज मे सेक्स एजुकेशन को साइंटिफिक तरीके से समझाया जाए तो फैमिली प्लानिंग से जुड़े बहुत सारे मसले नियंत्रित किए जा सकेगे। कम उम्र मे गर्भधारण जैसी चीजे कम हो जाएगी। आज के समय मे मोबाइल एक बम हैं। हम बिना ये जाने कि बच्चा क्या इस्तेमाल करेगा। उसे बस मोबाइल थमा देते हैं। मुझे लगता है मोबाइल देने के पीछे दो वजह हैं। पहला, हम बच्चे के साथ समय नही बिताना चाहते। हमे लगता है कि इसका तो आईक्यू लेवल बहुत कम हैं, हम इससे क्या बात करेंगे। दूसरा, बच्चे के कई सवाल हैं। जिनसे आप अंकम्फ़र्टबेल महसूस करते है जवाब देने से बचना चाहते हैं।
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