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व्यापम घोटाले के लिए एक पत्र जो सबूत बन सकता था, रिकॉर्ड से ही गायब हैं।

भोपाल(सुलेखा सिंगोरिया) मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 2 जुलाई 2014 को विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष सत्यदेव कटारे के स्थगन प्रस्ताव के जवाब में जिस पत्र के दम पर दावा किया था कि उन्हें 20 जून 2013 को पुलिस का एक पत्र मिला था। पत्र का खुलासा करते हुए चौहान ने कहा था कि दो लोगों ने व्यापमं घोटाले को अंजाम दिया है। वह व्यापम घोटाले का सूत्रधार पत्र सरकारी रिकॉर्ड से गायब है। गृहमंत्री बाला बच्चन ने सोमवार को सदन में प्रताप ग्रेवाल के प्रश्न के लिखित उत्तर में जवाब दिया कि इस तरह का कोई पत्र रिकॉर्ड में नहीं है।

 विधानसभा में व्यापमं को लेकर दो प्रश्न : पहला विधायक प्रताप ग्रेवाल ने पूछा कि 20 जून 2013 को गुप्तचर शाखा को पत्र मिला था, वह क्या तथा क्या विभाग द्वारा इस पत्र की जानकारी तत्कालीन मुख्यमंत्री को दी गई थी। यदि यह पत्र मिला था तो क्या वह एसटीएफ या सीबीआई के पास है। इस पत्र में दो लोगों के नाम थे, जो फर्जीवाड़े के सूत्रधार थे। इसके जवाब में गृहमंत्री बाला बच्चन ने कहा कि- इस तरह का कोई पत्र नहीं मिला है, जब पत्र नहीं मिला तो इसके सीबीआई और एसटीएफ के पास होने का प्रश्न ही नहीं उठता।

दूसरा : हर्ष विजय गेहलोत ने पूछा कि व्यापमं घोटाले के 212 प्रकरण सीबीआई को सौंपने से पहले कुल कितने आरोपी थे। 13 जुलाई 2015 के पूर्व कितने प्रकरणों का फैसला हो चुका है। जवाब में गृहमंत्री ने कहा है कि- कुल 4096 आरोपी थे, इनमें से 3063 को गिरफ्तार किया जा चुका है। शेष 983 अब तक गिरफ्तार नहीं हुए हैं। इनमें से 27 की मृत्यु हो चुकी है। इधर, सूत्रों का कहना है कि अभी तक 110 प्रकरण की जांच की है। 100 से ज्यादा प्रकरण अभी भी बाकी है, जिनके अब तक चालान पेश नहीं हुए हैं। 

पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान- जब मैं मुख्यमंत्री था, तब मुझे एक पत्र मिला था उसमे लिखा था कि व्यापम मे कुछ फर्जी लोग बैठ रहे हैं। इसके बाद हमने इस पत्र की सभी स्तरो पर जांच करवाई। जांच मे गड़बड़ी की बात सामने आई। 

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प्रधान संपादक समाचार संपादक
सैफु द्घीन सैफी डॉ मीनू पाण्ड्य
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