भोपाल। राजधानी शहर मे एक मात्र विद्युत शवदाह गृह है जिसकी मशीन 18 महीने से बंद पड़ी हुई है। बारिश का मौसम आ गया हैं, लेकिन अभी भी मशीन ठीक होने के कोई आसार नजर नहीं आ रहे हैं। कई बुजुर्गों ने मृत्यु से पहले इच्छा जताई थी कि उनका अंतिम संस्कार लकड़ी की बजाए विद्युत शवदाह गृह में किया जाए, लेकिन उनकी इस इच्छा को उनके परिजन पूरा नहीं कर पा रहे हैं। दरअसल, शहर के एकमात्र विद्युत शवदाह गृह (सुभाषनगर श्मशान घाट) है उसकी भी इलेक्ट्रिक बर्निंग मशीन बीते 18 माह से बंद पड़ी है। सुभाषनगर श्मशान घाट के रिकॉर्ड के मुताबिक विद्युत शवदाह गृह में अंतिम संस्कार के लिए हर माह औसतन 25 से 30 अर्थियां पहुंचती हैं, लेकिन परिजनों को मजबूरन अंतिम संस्कार के लिए लकड़ियों का उपयोग करना पड़ता है। विद्युत शवदाह गृह चालू रहता तो इन 18 माह में करीब 540 अंतिम संस्कार हो जाते और 1350 क्विंटल लकड़ी जलने से बच जाती। यानी इतनी लकड़ी के लिए 337 पेड़ कम काटे जाते। यदि इतने पेड़ों को जीवनदान मिल जाता तो हम कितना वायु प्रदूषण रोकने में सफल हो जाते। गौरतलब है कि एक व्यक्ति के अंतिम संस्कार में लगभग ढाई क्विंटल लकड़ी का उपयोग होता है। हम यह कह सकते हैं कि एक व्यक्ति कि मौत के साथ एक पेड़ कि भी मौत होती हैं। ऐसे मे ज़रूरी हैं कि सरकार को शहर कम से कम 2 विद्युत शवदाह गृह बनवाने चाहिए जिसके मशीन कि स्थिति भी दुरुस्त हो। ताकि पेड़ो को कटाई को रोका जा सके।
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