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व्यापम घोटाले के दौरान हुए दो डीन की रहस्यमय मौत की सीबीआई ने नही की जांच।


भोपाल। जबलपुर के नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज के डीन रहे डॉ डीके साकल्ले और डॉ. अरुण शर्मा की साल भर के भीतर रहस्यमय परिस्थितियों में हुई मौत की सीबीआई के व्यापमं जॉन मे जांच नहीं की। व्यापमं महा घोटाले में मेडिकल छात्रा नम्रता डामोर की मौत पर क्लोजर रिपोर्ट खारिज होने के बाद अब व्यापमं से जुड़ी डॉ॰ डीके साकल्ले और डॉ. अरुण शर्मा की मौत की जांच पर भी सवाल उठ रहे हैं। डॉ. साकल्ले की मौत आग में झुलसने से हुई थी और डॉ. शर्मा की लाश दिल्ली में एक होटल में मिली थी। जुलाई 2015 को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सीबीआई के व्यापमं जोन ने व्यापमं से जुड़ी 23 मौतों पर प्राथमिकी दर्ज की लेकिन इसमें डॉ. साकल्ले और डॉ. शर्मा की मौत का केस शामिल नहीं था। व्यापमं जोन के सीबीआई अधिकारियों का तर्क है कि राज्य सरकार की ओर से जो व्यापमं घोटाले से जुड़ी जो मौतें जांच के लिए दी गई थी, उन्हीं केस में पीई दर्ज कर जांच की गई। 

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष रहे डॉ. सुधीर तिवारी ने भी यह बयान दिया था कि मौत से दो दिन पहले डॉ. शर्मा ने एसटीएफ को घोटाले से जुड़े कुछ अहम दस्तावेज सौंपे थे। मेडिकल कॉलेज में उनके साथ पदस्थ रहे डॉक्टरों का कहना है कि डीन रहते दोनों डॉक्टर्स ने मेडिकल कॉलेज में फर्जी तरीके से एडमिशन पाने वाले छात्रों पर कार्रवाई भी की थी। दोनों की असमय मौत की जांच होनी चाहिए। इस बात की जांच तो की ही जानी चाहिए कि किन परिस्थितियों के चलते उनकी मौत हुई हैं।

वही सीबीआई ने व्यापम घोटाले की जांच से जुड़ी 23 मौतों की जांच पर पीई दर्ज की थी। जांच के बाद सीबीआी ने इस सभी मौतों में क्लोजर रिपोर्ट पेश कर दी। सीबीआई का कहना है कि यह सभी मौतें नैसर्गिक हैं। इनका व्यापमं घोटाले से सीधे तौर पर कोई लेना-देना नहीं है। इसको लेकर सीबीआई जांच पर सवाल भी उठ रहे हैं। नम्रता डामोर मर्डर केस में भी सीबीआई ने क्लोजर रिपोर्ट पेश कर दी थी, लेकिन कोर्ट ने मानने से इंकार कर दिया। 

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प्रधान संपादक समाचार संपादक
सैफु द्घीन सैफी डॉ मीनू पाण्ड्य
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