भोपाल। स्वास्थ्य मंत्री तुलसीराम सिलावट नियंत्रक खाद्य एवं औषधि प्रशासन को फूड सैंपल्स की जांच 14 दिन के बजाय 4 दिन में पूरी करने के निर्देश देने के बाद भी हालत कुछ यू हैं कि खाद्य सुरक्षा अधिकारियों के दवारा लिए गए दूध, मावा, पनीर और दुग्ध उत्पादों के 1980 से ज्यादा सैंपल लिए, जिसमे से 1500 सैंपल जांच के लिए स्टेट फूड लैबोरेटरी में जमा हुए, लेकिन जांच की रफ्तार इतनी धीमी की दो सप्ताह में केवल 218 सैंपल की जांच पूरी हो सकी है। फूड सैंपल्स की जांच की गति धीमी होने के कारण अब सवाल उठने लगे हैं। इधर, मंत्री सिलावट ने कहा है कि सैंपल्स को जांच के लिए हवाई मार्ग से मुंबई भेजा जाएगा ताकि जल्दी रिपोर्ट आ सके। लैबोरेटरी में रोजाना मावा, पनीर, दूध, घी और दुग्ध उत्पादों के रोजाना 100 नए सैंपल जमा हो रहे हैं। लैबोरेटरी में सैंपल्स की जांच के लिए पर्याप्त संख्या में फूड एनालिस्ट, केमिस्ट, साइंटिस्ट और लैब टैक्नीशियन नहीं होने के कारण 100 सैंपल मे से महज 30 सैंपल्स की जांच ही हो पा रही है। इसके चलते लैब में दूध, मावा, पनीर और दुग्ध उत्पादों के फूड सैंपल्स की जांच रिपोर्ट लगातार पेंडिंग होती जा रही हैं। इसका फायदा खाद्य पदार्थों में मिलावट का कारोबार करने वाले उन व्यापारियों को होगा, जिनके फूड सैंपल की जांच रिपोर्ट फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड एक्ट 2016 के तहत सैंपल जमा होने के 14 दिन के भीतर स्टेट फूड लैब से जारी नहीं होगी। जांच रिपोर्ट में देरी के कारण जांच में अमानक निकले फूड सैंपल की रिपोर्ट के आधार पर खाद्य सुरक्षा अधिकारी एडीएम कोर्ट में संबंधित फूड कारोबारी के खिलाफ मामला दर्ज नहीं करा पाएंगे। लैबोरेटरी में दो फूड एनालिस्ट, 13 टैक्नीशियन, साइंटिस्ट, केमिस्ट हैं। अलग-अलग फूड प्रोडक्ट की जांच अलग-अलग पैरामीटर पर होने के कारण लैब में रोजाना अधिकतम 30 सैंपल्स की जांच ही हो पाती है।
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