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नियमो के खिलाफ जीवनशैली अपनाने पर सिस्टर लूसी को नन के पद से किया बर्खास्त।

कोच्ची। चर्च नियमो के खिलाफ जीवनशैली को अपनाने के आरोप के चलते केरल में दुष्कर्म पीड़ित नन का साथ देने वाली सिस्टर लूसी कलाप्पुरा को फ्रांसिस्कन क्लैरिस्ट कॉन्ग्रेगेशन (धर्मसभा) से निकाल दिया गया है। धर्मसभा ने 5 अगस्त को आरोप लगाया था कि उन्होंने धर्मसभा की इजाजत के बिना कविता प्रकाशित करवाईं। कार खरीदी। पूर्व बिशप के खिलाफ प्रदर्शन किया और टीवी शो में भी शामिल हुईं। दरअसल, लूसी कलाप्पुरा उन पांच ननों में शामिल थीं, जिन्होंने 2014 से 2016 के बीच एक अन्य नन से बार-बार दुष्कर्म किए जाने के खिलाफ आवाज उठाई थी। इस मामले में जालंधर के आर्चबिशप फ्रांको मुलक्कल मुख्य आरोपी हैं। पांचो ननो ने पीड़ित नन के समर्थन में केरल हाईकोर्ट के बाहर प्रदर्शन भी किया था। लूसी फिलहाल केरल के वायनाड में द्वारका सैक्रेड हार्ट स्कूल में कार्यरत हैं।

उन पर आरोप लगाया गया कि उन्होंने चर्च के विरुद्ध जाकर फ्रांको मुलक्कल का विरोध किया। साथ ही सोशल मीडिया पर सक्रियता, नन के लिए तय पोशाक नहीं पहनने और समय पर नहीं आने के भी आरोप उन पर लगाए गए हैं। इसके बाद अपनी गलती सुधारने की कोई कोशिश नहीं की। इसलिए उन्हें चर्च से निकाला जा रहा है। उन्हें 10 दिन के अंदर अपना कॉन्वेंट छोड़ने का आदेश दिया गया है। धर्मसभा के सुपीरियर जनरल एन जोसेफ ने 5 अगस्त को लूसी के नाम एक खत जारी कर लिखा कि उन्होंने धर्मसभा के नियमों का उल्लंघन करने पर न तो कोई पछतावा जाहिर किया और न ही कोई संतोषजनक जवाब दिया। इससे पहले 11 मई 2019 को जनरल काउंसिल की एक बैठक में मतदान द्वारा लूसी को हटाने का फैसला किया गया था। वैटिकन ने नन पर लगाए गए आरोप सही मानते हुए उन्हें नन के पद से हटाने का आदेश दिया है। 

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सैफु द्घीन सैफी डॉ मीनू पाण्ड्य
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