भोपाल। भोपाल गैस पीड़ित संघर्ष सहयोग समिति की संयोजक साधना कार्णिक ने रविवार को यहां कहा कि देश में नेताओं, उद्योगपतियों के अच्छे दिन तो आ गए हैं, मगर गैस पीड़ितों के अच्छे दिन नहीं आए हैं। गैस पीड़ित अब भी बदहाली, बीमारी और संघर्ष के दौर से गुजर रहे हैं। भोपाल के गैस हादसे के प्रभावितों के लिए संघर्ष कर रहीं कार्णिक ने रविवार को भोपाल में संवाददाताओं से कहा, “दो-तीन दिसंबर, 1984 की रात यूनियन कार्बाइड से रिसी जहरीली गैस ने हजारों को मौत की नींद सुला दिया है। जो लोग बचे हैं, उन्हें फेफड़े, आंख, हृदय, गुर्दे, पेट, चमड़ी आदि की बीमारी हो गई है।” उन्होंने कहा, “सवा पांच लाख ऐसे गैस पीड़ित हैं, जिन्हें किसी तरह की राहत नहीं दी गई है। केंद्र सरकार के इस राजपत्र अधिसूचना को रद्द किया जाना चाहिए।” उन्होंने मांग की कि गैस पीड़ितों को हर्जाना सहित 30 लाख रुपये मुआवजा दिया जाए।
केंद्र और मध्य प्रदेश सरकार के रवैये से निराश भोपाल गैस कांड के पीड़ितों ने राष्ट्रपति को चिट्ठी लिखकर जल्द मुआवजा दिलाने की गुहार लगाई है। उल्लेखनीय है कि भाजपा और कांग्रेस दोनों दलों के प्रतिनिधियों ने भोपाल के हर गैस पीड़ित को मुआवजे के तौर पर 5 लाख रुपए दिलवाने का वादा किया है। यह तभी पूरा किया जा सकता है। जब केंद्र और प्रदेश सरकार के स्तर से सुप्रीम कोर्ट में पेश मौतों और बीमारियों के आंकड़े को सुधारा जाए।