इंदौर। बंगला खाली कराने को लेकर शुक्रवार को एक कारोबारी और एनआरआई ऑर्किटेक्ट के बीच बड़ा विवाद हुआ। दिनभर चले हाईप्रोफाइल ड्रामे में जब पुलिस ने एनआरआई को कोपरेट नहीं किया तो एनआरआई ने प्रदेश के एक मंत्री पर दबाव बनाने का आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री कमलनाथ और विदेश मंत्रालय को ट्वीट किया तो पुलिस अफसरों ने दिखाई फुर्ती।
टीआई अजीत सिंह बैस के अनुसार 174, साकेत नगर स्थित बंगला खाड़ी देश में रहने वाले ऑर्किटेक्ट एनआरआई मनोज वर्गीस का है।
उन्होंने 2008 में इसे शिवराजसिंह लिमड़ी को किराए पर दिया था। अनुबंध 2013 तक था। वर्गीस का कहना है शिवराज ने 2013 के आसपास बंगला खाली कर दिया, लेकिन गैराज में से कुछ सामान नहीं हटाया। कुछ समय बाद वर्गीस परिवार सहित विदेश चले गए। पिछले महीने वापस आए तो देखा कि बंगले में शिवराज सिंह रह रहे हैं। बंगला खाली करने पर शिवराज मामला टालते रहे। वहीं शिवराज सिंह का कहना था कि इस पूरी अवधि के दौरान वे वर्गीस को 75 हजार रुपए महीना किराया देते रहे। उन्होंने कभी बंगला खाली किया ही नहीं था। हालांकि बाद में उन्होंने माना कि बंगला वर्गीस का है।
दरअसल, शुक्रवार सुबह वर्गीस पत्नी और बेटी के साथ बंगले पर पहुंचे और भीतर जाकर बैठ गए। तब बंगले पर शिवराज नहीं थे, पर उनकी मां और बच्चे मौजूद थे। वर्गीस ने इसी बीच पुलिस को सूचना दी तो पलासिया थाने से बल मौके पर पहुंच गया। वर्गीस पुलिसकर्मियों से बोले कि जब तक शिवराज नहीं मिलेंगे, वे नहीं जाएंगे। विवाद बढ़ने पर वर्गीस ने वहीं से मुख्यमंत्री कमलनाथ और विदेश मंत्रालय को ट्वीट कर दिए कि पुलिस ऊर्जा मंत्री प्रियव्रत सिंह के दबाव में उनका सहयोग नहीं कर रही है। थोड़ी देर बाद ही मुख्यमंत्री कार्यालय से उन्हें जवाब मिला कि पुलिस पूरी मदद करेगी। इसके बाद आला अफसरो ने वर्गीस और शिवराज सिंह को थाने बुलाया और समझौता कराया और तय हुआ कि कारोबारी 15 दिन में बंगला खाली कर देंगे।
वही इस मामले मे ऊर्जा मंत्री, प्रियव्रत सिंह ने अपनी सफाई मे कहा कि मैंने कभी पुलिस को इस विषय में फोन नहीं किया। हमारी सरकार में लोगों को न्याय ही मिलेगा। मैंने खुद एसपी को कहा था कि उचित कार्रवाई करें।