भोपाल। दो साल से निलंबित चल रहे तत्कालीन प्रभारी जिला परिवहन अधिकारी केपी अग्निहोत्री की बहाली के लिए परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत के ओएसडी कमल नागर और निजी पदस्थापना में पदस्थ बाबू आईएस मीणा के द्वारा तथ्यों को छुपाकर बनाई नोटशीट कि जांच में दोनों फंस गए हैं। इसमें न्यायालीन आदेश से विभागीय जांच स्थगित होने और बिना काम 75% वेतन का भुगतान करने तक की टीप लिख दी। हकीकत में अग्निहोत्री ने 2012 से वेतन नहीं लिया है। इतना ही नहीं सामान्य प्रशासन विभाग के नियमों को दरकिनार कर इस मामले की जांच कमेटी से परिवहन आयुक्त को ही बाहर कर दिया गया। परिवहन विभाग से लोकायुक्त, मुख्य सचिव और विभाग में दर्ज शिकायतों के चलते निलंबित परिवहन अधिकारी केपी अग्निहोत्री को अनधिकृत लाभ पहुंचाने के मामले में मंत्री के ओएसडी कमल नागर और बाबू आईएस मीणा के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए सामान्य प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिव को लिखा गया है। उपसचिव एनए खान ने 8 अगस्त 2019 को भेजे पत्र में अग्निहोत्री को निलंबन से बहाल करने और अन्य फायदे पहुंचाने के लिए मीणा की 26 दिसंबर 2018 की नियम विरुद्ध टीप का उल्लेख किया है। परिवहन आयुक्त कार्यालय के 27 मई 2019 के पत्र में अग्निहोत्री को 2012 से वेतन नहीं लेने का उल्लेख है, लेकिन मीणा ने 75% वेतन देने की टीप लिख दी। अग्निहोत्री के विदिशा में पदस्थ होने की बात भी जांच में छुपाई गई। विभाग के तत्कालीन उपसचिव व वर्तमान में मंत्री के ओएसडी नागर ने नोटशीट के परीक्षण के बिना ही उच्च स्तर पर तत्कालीन प्रमुख सचिव मलय श्रीवास्तव की अध्यक्षता वाली कमेटी से अनुमोदन ले लिया। हाईकोर्ट ने अग्निहोत्री की याचिका पर परिवहन विभाग को सुनवाई के निर्देश दिए थे। विभाग ने गुण-दोष के आधार पर 3 जनवरी 2019 को अभ्यावेदन को अस्वीकार कर निलंबन बरकरार रखा। 11 जनवरी को कमेटी की बैठक हुई। 11 दिन बाद 22 जनवरी को पीएस मलय श्रीवास्तव के आदेश से अग्निहोत्री की बहाली कर दी गई
|