भोपाल। देश की 100 सिटी मे से भोपाल को स्मार्ट सिटी का अवॉर्ड मिला हैं। लेकिन हकीकत कुछ और ही हैं और वह यह हैं कि 1300 करोड़ के खर्च के बाद भी भोपाल के हालात वही हैं, जो 5 साल पहले थे। करोड़ो खर्च के बाद भी भोपाली लोगो कि ज़िंदगी अभी भी ऐसी ही हैं, कोई सहूलितय नहीं। जबकि खर्च हुए 1300 करोड़ मे से 600 करोड़ रु॰ तो हमारे द्वारा केंद्र और राज्य सरकार को दिया गया टैक्स हैं, और बाकी का 750 करोड़ उन कंपनियो ने निवेश किए हैं जिन्हे विज्ञापनो से अच्छी ख़ासी कमाई की आस हैं। बावजूद इसके राजधानी कि तस्वीर मे कोई बदलाव नहीं आया हैं। 5 करोड़ के खर्च के बाद भी कचरे से शहर के रोड और मौहाल्ले के हालत खराब हैं। वही, सालो पहले चालू किए प्रोजेक्ट अभी तक पूरे नहीं हो पाये हैं। शहर मे जगह-जगह अधूरे प्रोजेक्ट पड़े हुये हैं एक साल की जगह 2 साल तक काम जारी हैं। 10 शहरो के मुक़ाबले भोपाल मे 1800 करोड़ के टेंडर पास हुए हैं। जिसमे 700 टेंडर पाईपलाइन के हैं। वही, स्मार्ट रोड का 90 फीसदी और बुलेवर्ड स्ट्रीट का 80 फीसदी काम पूरा होने का दावा स्मार्ट सिटी कंपनी ने किया हैं। देखना यह हैं कि इन बार किया गया दावा क्या रंग लाता हैं।
|