भोपाल। सालो से ईदगाह हिल्स में बसे लोगों को मालिकाना हक देने के लिए दो महीने से चल रहा सर्वे का काम लगभग पूरा हो गया है। जिला प्रशासन प्रमुख सचिव राजस्व मनीष रस्तोगी को भेजी गई सर्वे रिपोर्ट में सामने आया,सर्वे में 1037 के पास वैध दस्तावेज मिले हैं। ये प्रॉपर्टी मालिको ने 2001 के पहले यहां प्रॉपर्टी खरीदी थी। ये मकान और प्लॉट 90 एकड़ जमीन पर बने हैं। रिपोर्ट में ईदगाह हिल्स की 600 एकड़ जमीन में से 150 एकड़ ऐसी है, जहां लोगों ने मकान बना रखे हैं। कलेक्टर तरुण पिथोड़े ने बताया कि जिनके पास दस्तावेज हैं, उनको वैध करने के लिए नजूल पट्टे देने की सिफारिश शासन को की गई है। अब शासन को फैसला करना है कि किस तरह से जमीन का मालिकाना हक दिया जाए। वर्ष 2001 में फर्जी इनायतनामे की जांच के चलते तत्कालीन कलेक्टर अनुराग जैन ने ईदगाह ड्योढ़ी के नाम से राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज 600 एकड़ जमीन को इसलिए सरकारी माना क्योंकि यह नवाब हमीदुल्ला खां की निजी मिल्कीयत में शामिल नहीं थी। न ही इसका जिक्र मर्जर एग्रीमेंट में था।
वही, रहवासियों का कहना है कि हजारों की संख्या में ऐसे लोग हैं जो यहां 18 साल से यहाँ बसे हैं, लेकिन उनसे दस्तावेज नहीं मांगे गए। रहवासी सुबूर खान का आरोप है कि 2001 के पहले के लोगों को ही सर्वे में क्यों शामिल किया गया। सरकार को नीति स्पष्ट करना चाहिए, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों को फायदा हो, न कि चुनिंदा लोगों को।
सरकार ने मर्जर एग्रीमेंट में शामिल शाहपुरा, कोटरा, निशातपुरा, हलालपुरा-बोरवन व संत हिरदाराम नगर की जमीन को 2018 में कैबिनेट में सरकारी के दायरे से मुक्त किया है, उसी प्रक्रिया को ईदगाह हिल्स मामले को अमल में लाया जा सकता है।