भोपाल। कम होने के कारण प्रवेश निरस्त करने और जनसंचार विभाग के एचओडी डॉ. संजीव गुप्ता पर अभद्रता के आरोप लगाते हुए मंगलवार शाम 6 बजे जन संचार विभाग के पोस्ट ग्रेजुएशन की छात्रा मनु शर्मा व श्रेया पाण्डेय द्वारा माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विवि के बाहर सड़क पर धरना पर बैठ गई थीं। जो बुधवार दोपहर खत्म हो गया। धरने के चलते रैक्टर प्रो. श्रीकांत सिंह, रजिस्ट्रार दीपेंद्र बघेल समेत अन्य फैकल्टी मेंबर ने निर्णय किया कि दोनों छात्राओं को मई-जून 2020 में आयोजित होने वाली परीक्षाओं के तीसरे और चौथे सेमेस्टर में एकसाथ बैठने दिया जाएगा। इस संबंध में विवि ने तत्काल आदेश भी जारी कर दिया। इसके अलावा एचओडी के मामले में जांच कराने का आदेश भी जारी कर दिया है।
विवि प्रशासन के मुताबिक पहले सेमेस्टर में भी दोनों छात्राओं की उपस्थिति 75% से कम थी। इसके बाद भी छात्राओं को परीक्षा में बैठने की अनुमति दी गई। इसके बाद दूसरे सेमेस्टर में यह इस मापदंड को पूरा नहीं कर सकीं। इसके चलते विवि ने दूसरे सेमेस्टर में इनके एडमिशन निरस्त किए थे। उन्होंने बताया कि विवि ने 75% उपस्थिति दर्ज नहीं कराने वाले छात्रों के अस्थाई रूप से प्रवेश निरस्त किए थे। उन्हें 500 रुपए जमा करा कर री-एडमिशन का मौका दिया, लेकिन इन छात्राओं ने न तो प्रक्रिया पूरी और न ही इंटरनल परीक्षा में शामिल हुईं। परीक्षा फार्म भी जमा नहीं किया। प्रैक्टिकल परीक्षाएं भी नहीं दीं।
बुधवार को छात्राओं का धरना खत्म होने से पहले सांसद प्रज्ञा ठाकुर सुबह 11:30 बजे उनसे मिलने पहुंचीं। 10 मिनट बाद ही वहां एनएसयूआई के कार्यकर्ता भी पहुंच गए और सांसद को विवि में प्रवेश नहीं करने देने की मांग करते हुए नारेबाजी करने लगे। एनएसयूआई के कार्यकर्ताओं ने सासंद ठाकुर के खिलाफ आतंकवादी वापस जाओ, गोडसे के यार वापस जाओ, प्रज्ञा ठाकुर वापस जाओ जैसे नारे लगाए। इसके चलते यहां करीब एक घंटे तक जमकर हंगामा हुआ। हंगामे के चलते विवि परिसर में एसडीएम राजेश गुप्ता, एएससी संजय साहू के साथ भारी पुलिस बल मौजूद था। इस दौरान रैक्टर प्रो. सिंह, रजिस्ट्रार बघेल भी सांसद के पास पहुंचे और उनसे छात्राओं को लेकर चर्चा की। दोपहर 1.50 बजे सांसद यहां से राज्यपाल से मिलने रवाना हुईं। वे राज्यपाल से मिलकर दोपहर 2.20 बजे दोबारा विवि पहुंची और छात्राओं से मिलीं। इधर, सांसद प्रज्ञा ठाकुर ने कहा कि छात्राओं की कोई मदद करने को तैयार नहीं था, इसलिए मैं मिलने पहुंची थी। उन्होंने कहा कि एनएसयूआई एक छात्र संगठन है, लेकिन उनमें छात्र नहीं थे। उन्होंने एक चुने हुए जनप्रतिनिधि के खिलाफ जैसा प्रदर्शन किया, वह अपराध की श्रेणी में आता है। वकील से चर्चा कर मामले में कार्रवाई की जाएगी।