भोपाल। राजधानी मे स्वच्छ सर्वेक्षण 2020 के सर्वे वैरिफाई करने के लिए दिल्ली से चुनिंदा नागरिकों को फोन करके फीडबैक लिया गया था। जहां 30 प्रतिशत से ज्यादा लोगों ने नियमित डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन और सेग्रीगेशन को लेकर निगम के दावे को गलत बताया था। स्वच्छ सर्वेक्षण-2020 मे पहली दो तिमाही में भोपाल को 633 नंबर के नुकसान की वजह सिटीजन फीडबैक निगेटिव होना है। इन दोनों तिमाही के रिजल्ट का मुख्य आधार शहरों द्वारा स्वच्छ सर्वेक्षण के पोर्टल पर शहरों द्वारा भरे गए आंकड़े थे। इन आंकड़ों को हालांकि इन दोनों तिमाही का 6000 अंकों के मुख्य सर्वे में वैटेज केवल 300 नंबर है। तीसरी केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय द्वारा 31 दिसंबर को जारी रिजल्ट के बाद नगरीय आवास एवं विकास विभाग ने मप्र के शहरों के रिजल्ट का एनालिसिस किया है। इस एनालिसिस में यह बात सामने आई कि भोपाल ने पहली तिमाही में 2000 में से 1830 नंबर का दावा किया था और मिले 1523 और इसी तरह दूसरी तिमाही में भोपाल ने 1825 नंबर क्लैम किए और मिले 1499 नंबर। जिस तरह से दोनों तिमाही में भोपाल के नंबर में कमी हुई है उससे एक बात साफ है कि निगम द्वारा किए गए स्वच्छता के कार्यों का लाभ आम लोगों तक पहुंचा ही नहीं। स्वच्छ सर्वेक्षण के बदले हुए मापदंड में शहरों को साल भर साफ- सफाई को बरकरार रखना जरूरी है। उसी लिहाज से सर्वे को तीन क्वार्टर की लीग में बांटने के साथ तीन अलग-अलग टीमों द्वारा फील्ड सर्वे कराया जा रहा है। इसके अलावा सिटीजन फीडबैक भी इस बार अधिक महत्वपूर्ण हो गया है।
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