भोपाल। हमेश किसी का किसी कांड के चलते हमेशा चर्चा रहने वाली सरकारी हमीदिया अस्पताल मे डायलिसिस के नाम पर किया जा रहा हैं मरीजो की जान के साथ खिलवाड़।
जी हाँ, प्रोटोकॉल के मुताबिक देखा जाए तो डायलिसिस की प्रक्रिया चार घंटे की होती है। इससे कम समय में होने पर मरीज की लाइफ कम होने का खतरा रहता है। लेकिन हमीदिया अस्पताल मे महज, एक दो घंटे मे ही मशीन से हटा दिया जाता हैं। यूनिट स्टाफ भी दबी जुबान में स्वीकारता है कि ज्यादा से ज्यादा डायलिसिस करने के लिए तय समय से पहले ही मरीजो को मशीन से हटा दिया जाता है।
अस्पताल की डायलिसिस यूनिट के हाल कुछ ऐसे हैं कि यहां 12 में पांच मशीने लंबे समय से खराब हैं। हालांकि इनकी रिपेयरिंग के लिए विभाग की और से अस्पताल प्रबंधन को कई बार सूचना दी जा चुकी है। लेकिन, रिपेयरिंग का काम नहीं किया जा रहा है। जबकि, अस्पताल में हर रोज 25 से ज्यादा मरीज डायलिसिस के लिए आते हैं। और अस्पताल मे भर्ती मरीजो की संख्या भी लगभग इतनी हैं जिसको डायलिसिस की जरूरत होती है।
डॉ. संजय गुप्ता, नेफ़्रोलोजिस्ट ने बताया कि डायलिसिस का सेशन चार घंटे का होना चाहिए। अगर किसी का डॉ घंटे डायलिसिस किया जाता है तो यह अपर्याप्त होता है। इसे अंडर डोजिंग कहते हैं। इसमें ब्लड पूरी तरह साफ नहीं होता है। इससे किडनी में कॉम्प्लीकेशन होने लगते हैं। शरीर में पानी भरने लगता है। सूजन भी बढ़ने लगती है। एनीमिया बढ़ने का खतरा रहता है। इससे लाइफ कम हों जाती है।
अभी 7 मशीनो से डायलिसिस किया जा रहा है। दो, चार और छह घंटे का प्रोटोकॉल होता है। मरीजो की सेहत से खिलवाड़ करने जैसी कोई बात ही नहीं है। डॉ. एके श्रीवास्तव, अधीक्षक, हमीदिया अस्पताल