भोपाल।(पूनम यादव) कहते हैं बेटियाँ माँ-बाप की शान उनका गुरूर होगी हैं। लेकिन वही बेटी अपने माँ-बाप के साथ संपाती के लिए धोखा करे, यह हैरान कर देनी वाली बात हैं। जी हाँ, कोर्ट मे एक ऐसा ही मामला सामने आया, जिसमे एक बेटी द्वारा अपने 82 वर्षीय पिता को दान पत्र के नाम पर ठगा गया हैं। सरदार पटेल नगर निवासी प्यारेलाल को सरकारी योजना के तहत 1960 मे एक मकान मिला था। योजना मे इस बात का उल्लेख था की मकान को कलेक्टर की बिना अनुमति के न तो बेचा जा सकता हैं और न ही दान किया जा सकेगा। दो साल पहले प्यारेलाल की बड़ी बेटी ने घर बुलाकर बताया कि अब सरकार ने नए नियम बनाए हैं। जिसके अनुसार घर की नई रजिस्ट्री करानी पड़ेगी। बुजुर्ग दंपति बेटी की बातों मे आ गए और बेटी के साथ रजिस्ट्रार के ऑफिस पहुँच गए। जहां पर बेटी ने धोखे से दान पत्र तैयार कराकर मकान खुद के नाम करा लिया। जबकि प्यारेलाल के दामाद खुद बीएचईएल मे कर्मचारी हैं। जब माता-पिता को इस धोखाधड़ी का पता चला तो उन्होने मंगलवारा थाने मे शिकायत की। उन्होने कलेक्टर एसडीएम, सीएम हेल्प लाइन सहित सब जगह गुहार लगाई लेकिन दान-पत्र रजिस्टर होने के कारण निरस्त नहीं हो सका। तब परेशान होकर बुजुर्ग ने फैमिली कोर्ट मे दान पत्र को निरस्त करने के लिए आवेदन दिया हैं। मामला फैमिली कोर्ट के प्रधान न्यायधीश आरएन चंद के यहाँ विचारहीन हैं। प्यारेलाल ने बताया कि उनके तीन बेटे और दो बेटिया हैं। दो बेटो कि मौत हो चुकी हैं। और एक बेटी विधवा हो चुकी हैं वह अपने बच्चो के साथ पिता के घर मे ही रहती हैं। बेटी कि विधवाए और बच्चे भी साथ मे ही रहते हैं। कुल मिलाकर 17 लोग एक ही छत के नीचे रहते हैं। अगर मेरी मौत हो जाती हैं तो बड़ी बेटी सबको बाहर करके मकान बेच देगी।
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