इंदौर। हनी ट्रैप मामले मे सोमवार को जस्टिस सतीशचंद्र शर्मा, जस्टिस शैलेंद्र शुक्ला की खंडपीठ के समक्ष सुनवाई मे एसआईटी की याचिता खारिज कर दी गई हैं। जिसमें उसने आयकर विभाग को केवल लेन-देन से जुड़े दस्तावेज ही दिए जाने की बात कही थी। हाईकोर्ट ने आदेश दिये गए कि इस केस से जुड़े सारे दस्तावेजो को आयकर विभाग को सौंप दिये जाये। जिसके बाद एसआईटी की तरफ से अतिरिक्त महाधिवक्ता ने आग्रह किया कि आयकर विभाग आर्थिक मामलों की जांच करता है, इसलिए उन्हें लेनदेन से जुड़े दस्तावेज देना ही उचित होगा। कोर्ट ने इस बात पर कहा कि एसआईटी के पास ज्यादा काम हो तो ये केस सीबीआई को सौंप देते हैं। हाईकोर्ट पिछली सुनवाई में ही आदेश कर चुका है कि आयकर को 10 दिन में दस्तावेज सौंपे जाएं। आपने समय सीमा में दस्तावेज क्यों नहीं दिए? इसके बाद कोर्ट ने मौखिक रूप से दस्तावेज देने का आदेश कर दिया। आयकर विभाग को दस्तावेज मिलने से केंद्रीय एजेंसी भी इसकी जांच में शामिल हो जाएगी। अब तक की जांच में जो तथ्य सामने आए हैं, उसके अनुसार इस मामले में कुछ राजनीतिक लोगों की भूमिका भी है। आरोपी महिलाओं के भाजपा-कांग्रेस के कई नेताओं से नजदीकी सामने आ चुकी है। जानकारों का कहना है कि आयकर विभाग को दस्तावेज देने से इस मामले में जांच की परतें नए सिरे से खुल सकती हैं। अब एसआईटी के पास सुप्रीम कोर्ट विकल्प है, अगर वह चाहे तो हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ वहां अपील कर सकती है।
दस्तावेज़ क्यो चाहते हैं आयकर : आयकर विभाग का कहना है कि उसे यह जानना है कि आखिर क्या ऐसी परिस्थितियां थीं, जिसके कारण इतने बड़े पैमाने पर पैसों का लेन-देन हुआ। वित्तीय लेन-देन के अतिरिक्त हनी ट्रेप में सरकारी ठेके और प्रॉपर्टी तक दी गई थी। इन ठेकों का मूल्यांकन कितना था। यह किस दबाव में दिए गए।