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सुप्रीम कोर्ट.........चुनाव के दौरान सोशल मीडिया, वेबसाइट पर जनता को बताएं, आपराधिक छवि वाला उम्मीदवार क्यो? साफ छवि वाला नेता क्यो नहीं?

भोपाल। सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की संविधान पीठ ने 25 सितंबर 2018 को आदेश जारी किया था कि दागी उम्मीदवार नामांकन पत्र में अपने खिलाफ लंबित मुकदमो की सूचना बोल्ड अक्षरों में दें। आपराधिक रिकॉर्ड वेबसाइट पर अपलोड करें। चुनाव मे खड़े होने वाले अपराधी प्रत्याशी के बारे मे मीडिया, सोशल मीडिया और वेबसाइट मे भी उसको खड़ा करने का कारण बताते हुये, प्रत्याशियो के लिए यह ब्योरा तीन बार अखबार में प्रकाशित करवाना भी अनिवार्य था। अपराधियो की संख्या पर लगाम कसने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने जो दिशा-निर्देश जारी किए थे, उसका राजनीति दलो मे कोई बदलाव नहीं आया हैं। जिसके चलते कोर्ट को 17 महीने के अंदर दूसरी बार दिशा-निर्देश जारी करने पड़े हैं। गुरुवार को कोर्ट ने राजनीतिक दलों को निर्देश देते हुये कहा कि चुनाव के दौरान मीडिया, सोशल मीडिया और वेबसाइट पर जनता को बताएं कि उन्होने आपराधिक पृष्ठभूमि वाला उम्मीदवार क्यो बनाया। किसी साफ छवि वाले नेता को टिकट नहीं देने की वजह भी बतानी होगी। सुप्रीम कोर्ट ने चेतावनी दी कि नए निर्देश नहीं मानने वाले राजनीतिक दलो पर अवमानना की कार्रवाई होगी। 2019 के लोकसभा चुनाव में  आपराधिक छवि वाले प्रत्याशियों कि संख्या 1440 थी। इनमें से 530 उम्मीदवारों ने सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को नजरंदाज करते हुये अपने खिलाफ दर्ज मामलों के विज्ञापन ही नहीं छपवाए। ऐसे 16 प्रत्याशी सांसद भी बन गए। इनमें 8 भाजपा, 5 वाईएसआर कांग्रेस, 2 टीएमसी और 1 लोजपा का है। चुनाव आयोग के सूत्रों के मुताबिक, 530 दागी प्रत्याशियों ने विज्ञापन के जरिए आरोपों का विवरण नहीं दिया। लेकिन, चुनाव आयोग कुछ नहीं कर पाया। एक वरिष्ठ अधिकारी ने माना कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद हिदायतें तो जारी की गईं, लेकिन आयोग के पास विज्ञापन नहीं देने वालों के खिलाफ कार्रवाई का अधिकार ही नहीं है। 159 यानी 29% पर हत्या, हत्या का प्रयास, दुष्कर्म और अपहरण जैसे केस चल रहे हैं।
कोर्ट ने कहा- टिकट का आधार जीत की संभावना नहीं हो सकती। बताना होगा कि बेदाग नेता क्यो नहीं उतारे। नामांकन के 72 घंटे के अंदर राजनीतिक दल अनुपालन रिपोर्ट चुनाव आयोग को दें। वरना, अवमानना की कार्रवाई होगी। नेता का आपराधिक रिकॉर्ड पार्टी की वेबसाइट, सोशल मीडिया, अखबारों में प्रकाशित करना होगा।
नामांकन के 48 घंटे में आपराधिक रिकॉर्ड सार्वजनिक किया जाए। जुर्म की प्रकृति व केस का स्टेटस भी बताना होगा

जस्टिस आरएफ नरीमन, जस्टिस एस रविंद्र भट- हमने पाया है कि राजनीति में आपराधिक पृष्ठभूमि के लोग बढ़े हैं। कोर्ट के पिछले फैसले के बाद हुए 4 चुनावों में आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों की काफी तादाद थी।



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सैफु द्घीन सैफी डॉ मीनू पाण्ड्य
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