भोपाल। शिक्षा विभाग के माहौल मे अभी कुछ दिनो से काले बादल छाए हुये है, इन दिनों शिक्षा विभाग मे कुछ ठीक नहीं चल रहा है। इसका कारण अहीन, विभाग के पूर्व और वर्तमान संचालकों के खिलाफ जांच चल रही है।
विभाग में करीब तीन महीने पहले संयुक्त संचालक बने सीबी ढब्बू पर खंडवा पॉलिटेक्निक के प्राचार्य रहते रिश्वत लेने के मामले में लोकायुक्त कार्यालय में शिकायत दर्ज है। इसकी शिकायत शपथपत्र के साथ शासन को भी की गई है। शिकायतकर्ता ने शपथपत्र के साथ एक ऑडियो भी लोकायुक्त और शासन को सौंपा है। जिसमें वे 5 लीटर मूंगफली के तेल की डिमांड कर रहे हैं। हालांकि सीबी ढब्बू ने इस मामले पर बात करने से इंकार कर दिया है। उधर, तकनीकी शिक्षा संचालक प्रो. वीरेंद्र कुमार के बाद अब मुख्यमंत्री ने राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार प्रो. एसएस कुशवाह के खिलाफ भी जांच के निर्देश प्रमुख सचिव को दे दिए हैं। आरोपों की जांच कर 7 दिन में रिपोर्ट देने को कहा गया है।
वही, मंत्रालय में अपर सचिव डॉ. एमआर धाकड़ और संयुक्त संचालक डॉ. मोहन सेन पर आरोप हैं कि जिन्हें पूर्व में अनियमितता कर पीएचडी के इंक्रीमेंट दिए गए। पॉलिटेक्निक में खरीदी मामले में हुई जांच में इन्हें दोषी पाया गया था। इन्होने एआईसीटीई के नियमों के खिलाफ जाकर इंक्रीमेंट दिया गया। एआईसीटीई ने स्पष्टीकरण दे दिया है फिर भी इनसे इंक्रीमेंट वापस लेने की कार्रवाई नहीं की जा रही है। हालांकि धाकड़ ने इन आरोपो को लेकर कहा है कि सब जांच हो चुकी हैं। सभी प्रकरण बंद हो
जिन दो पूर्व संचालकों के खिलाफ जांच शुरू कराई गई है। उनमें से एक डॉ. आशीष डोंगरे, जो वर्तमान में शा. एसबी पोंलिटेक्निक के प्राचार्य हैं। इनकी जांच उज्जैन इंजीनियरिंग कॉलेज के प्रभारी प्राचार्य डॉ. अतुल स्थापक व प्रो. एके मिश्रा कर रहे हैं। एक अन्य पूर्व संचालक अरुण नाहर, जो वर्तमान में अतिरिक्त संचालक हैं। इनकी जांच उज्जैन इंजीनियरिंग के ही प्रोफेसर डॉ. एसके जैन कर रहे हैं। उधर, डॉ. डोंगरे का कहना है कि जांच गलत तरीके से शुरू कराई गई है, क्योंकि शिकायतकर्ता गुमनाम है। वहीं नाहर ने जवाब देना से इंकार कर दिया है।
रिटायर्ड डीजी मप्र पुलिस और पूर्व कुलपति, अरुण गुर्टू ने मामले मे कहा कि: तकनीकी शिक्षा विभाग में व्यापक स्तर पर सुधार की जरूरत है। इसलिए पॉलिटिकल हस्तक्षेप बंद हो। इतने बड़ी संख्या में अधिकारियों के खिलाफ शिकायतें हैं तो कहीं न कहीं गड़बड़ जरूर है। इसलिए किसी अन्य किसी सेवा के अधिकारी को विभाग की जिम्मेदारी सौंप कर फ्री हैंड दिया जाना चाहिए।