भोपाल:(सैफुद्दीन सैफी) अगर बागसेवानिया की जन रक्षक पुलिस को मीना चौहान की मौत के मामले मे उसके परिवार वालों से सच्ची हमदर्दी हुई तो निश्चित ही माउंट अस्पताल का कमाईखोर डॉ नरेंद्र पाल को न सिर्फ इलाज के मामले मे लापरवाही बरतने के जुर्म मे 10 साल के लिए अंदर होना पड़ सकता है, बल्कि उसके अस्पताल का लाइसेन्स भी समाप्त किया जा सकता है।
राजधानी मे निजी अस्पतालो मे इलाज के नाम पर मरीजो से मोटी रकम वसूलना या इलाज़ के दौरान लापरवाही बरतना, इस तरह के समाचार आए दिन मीडिया के सुर्खी बनते है। सरकारी अस्पतालो की दुर्दशा किसी से छुपी नही है मजबूरन मध्यम वर्ग के लोग इधर उधर से उधार लेकर उम्मीद के साथ निजी अस्पताल मे जाते है, मगर डॉ के नाम पर कसाई बने बैठे डॉ भी उन्हे डकैतों की तरह लूटने से बाज नही आते, कारण साफ है बड़े निजी अस्पतालो से सरकार मे बैठे मंत्रियो अफसरो को माहवारी मिलती और भोपाल के कई बड़े अस्पतालो मे भाजपा, काँग्रेस के बड़े बड़े नेताओ की सीधी हिस्सेदारी है जब जब किसी अस्पताल संचालक पर पुलिस या प्रशासन का शिकंजा कसता है तब ये नेता उनकी ढाल बन जाते है
21 दिन पहले बागसैवानिया के माउंट अस्पताल मे डॉ की लापरवाही से मौत के मुँह मे जाने वाली मीना चौहान के मामले मे बागसैवानिया थाने मे पुलिस ने हल्की फुलकी धाराओ मे केस दर्ज कर अपनी देश भक्ति जन सेवा के कर्तव्य की पूर्ति कर ली है, और परिवार वालों को ये दिलासा का लौलीपॉप पकड़ा दिया है की आगे जांच मे अगर डॉ दोषी पाया जाता है तो पुलिस सख्त कार्यवाही करेगी।