भोपाल (सैफुद्दीन सैफी )
कहते हे जब रोम जल रहा था तब नीग्रो बंसी बजा रहा था कुछ ऐसा ही हाल हमारे प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री डॉ प्रभुराम चौधरी का है. कहने को खुद भी ये डॉ हे, मगर मानवीय सवेंद्नाओ से ये दिल और दिमाग दोनों से खाली है . और इन्हें कोई कुछ भी बोलता रहे लिखता रहे इनकी सेहत पर कोई फर्क नही पड़ता. क्योकि ये कोई क़ाबलियत के आधार पर मंत्री नही बने है. बल्कि दलबदलू राष्ट्रीय नेता करोना काल में सरकार गिराने वाले ज्योतितराजे सिंधिया के चरण चुम्बन की मेहरबानी से मंत्री पद पर आसीन है . तो फिर चोधरी जी को प्रदेश की ६ करोड जनता की चिंता करने की क्या जरुरत ?
आज भोपाल ही नहीं मध्यप्रदेश के लगभग हर जिले में करोना ने अपना कहर बरपा किया हुआ है. लोग कीड़े मकोड़े की तरह मर रहे हे किसी के परिजन को इंजेक्शन नही मिल रहा किसी के को बेड नही और किसी को आक्सीजन नही अगर कोई मर गया तो क्रिया कर्म के लिए लकड़ी नही प्रदेश में चारो और बेबसी का आलम बरपा है. मगर मजाल इन दस दिनों में राजधानी या उसके आसपास प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री कही फटके हो या कोई बयान वो भी झूठी दिलासा का दिया हो प्रदेश सरकारों के इतिहास में आज तक शायद इतना नाकारा निकम्मा मंत्री किसी ने देखा हो लगता है चौधरी साहब मंत्री सिर्फ इसलिए बने हे, कि अपने परिवार के लोगो कि ही मदद कर सके कमलनाथ सरकार में जब मंत्री बने तब इन्हें शिक्षा विभाग में अपनी बहन कि पोस्टिंग मंत्री बनते ही सब से पहले की फिर दलबदलू होकर शिवराज सरकार में सिंधिया जी के मेहरबानी से इन्हें स्वास्थ्य मंत्री की जवाबदारी दी गई तो ६ करोड प्रदेश वासियों के स्वास्थ्य की चिंता न करते हुए इन्होने अपनी पत्नी के प्रमोशन की फ़िक्र सब से पहले की मगर डॉ प्रभुराम चौधरी ये भूल रहे है कि जनता की जब तिरछी नज़र पड़ती है तो अच्छे अच्छे नेता राजनैतिक शून्यता में पोहंचा दिए जाते है. और भविष्य में शायद ये ही गति को चोधरी जी भी पुहंचे क्यों कि जनता ये कभी नही भूलती कि दुःख में उसके साथ कौन खड़ा था, और किसने पीठ की हुई थी.