भोपाल
शहर में कोरोना महामारी के चलते हो रही मौतें भी अब विसंगति का शिकार है। इसे आप सरकारी नियमों और प्रक्रिया में विसंगति कहें या कोरोना से हो रही मौतों के आंकड़े छिपाने का नया तरीका, लेकिन इतना सच है कि दस्तावेज़ झूठ नहीं बोलते है। भोपाल में नगर निगम कोरोना से हुई मौतों के मृत्यु प्रमाण- पत्र देने से पहले यह देख रहा है। कि इसकी मौत सरकारी अस्पताल मे हुई है या प्राइवेट में। हमीदिया और अन्य सरकारी अस्पताल से जो मृत्यु प्रमाण-पत्र जारी कर रहे है। वहां मौत का कारण वाले कॉलम में कोरोना पॉज़िटिव लिखा जा रहा है। लेकिन इधर जो प्राइवेट अस्पतालो मे कोरोना से मौतें हो रही है उसमे निगम मौत का कारण वाले कॉलम में कुछ भी नहीं लिखकर दे रहा है।जबकि प्राइवेट अस्पताल जो प्राइमरी सर्टिफिकेट मृतक के परिवार वालों को दे रहें है उसमें वें कोविड डेथ लिख रहे हैं। तो फिर निगम मृत्यु के प्रमाण - पत्र में मृत्यु का कारण वाला कॉलम खाली क्यो रख रहे है। इधर जब नगर निगम कमिश्नर वीएस चौधरी कोसवानी से पूछा तो उन्होने कहा कि हम तो योजना, आर्थिक एंव सांख्यिकी संचालन केई निर्देशों का पालन कर रहे है। इसके पहले कभी भी मृत्यु का कारण नही लिखा गया। इस पर संचालनालय कमिश्नर अभिषेक सिंह का कहना है कि यह विसंगति है और इस पर हम सोमवार को स्पष्टीकरण करेंगे और पूरे प्रदेश में सभी जगह से जारी होने वाले प्रमाण पत्रो में एकरूपता सुनिश्चित करेंगे। शहर मे कोरोना कि पहली लहर में मृत्यु प्रमाण पत्र में मौत का कारण पहले कभी नहीं लिखा गया। लेकिन दूसरी लहर में मौतों का कारण लिखने के पीछे वजह है। इससे यह आसानी से पता चल जाएगा कि किस बीमारी से कितनी मौतें हुई। इधर संचालनाय के अफसरों का कहना है कि आवेदन पत्र में कारण का उल्लेख सांख्यिकी द्रष्टिकौण से कराया जाता है, यदि कभी ये आंकड़ा पता करना हो कि किस बीमारी से कितनी मौतें हुई, तो उसे निकाला जा सकता है। केवल डॉक्टर ही किसी व्यक्ति कि मृत्यु का कारण बता सकता है । विभाग के लिए ये संभव नहीं है।
इधर 20 मई को राज्य सरकार ने घोषणा की थी कि कोरोना कि दूसरी लहर में जिन लोगो कि मौत हुई,उनके परिवार वालों को एक-एक लाख रुपए कि आर्थिक मदद मिलेगी। और पता चला है कि इस घोषणा के बाद ही सरकारी अस्पतालों में डेथ सर्टिफिकेट में कोविड लिखने लगे।