भोपाल
रियल एस्टेट रेगुलेशन एक्ट -2016 के कानून बनाकर रेरा कि स्थापना करने में हमारा देश अव्वल रहा,लेकिन इसके चार साल बाद भी इसको लागू करने के लिए जरूरी नियम-कायदे (रेगुलेशन) नहीं बना पाया है। यहन एक वरिष्ठ अधिकारी के न होने से महीनो काम ठप पड़ जाता है। मप्र॰ में रेरा द्वारा ग्राहको के हक़ में दिये गए 2000से अधिक के आदेश में से 90% चार साल से तहसीलदार,एसडीएम और कलेक्टर कि टेबल पर ही पड़े है। पिछेले चार सालो में रेरा ने सेकड़ों प्रोजेक्ट पर काम मै रोक लगाई। लेकिन बिल्डर्स के कोर्ट जाने पर वह इसका आधार नहीं बता पाए।
रेरा बिल्डरों पर नियमो के उल्लंघन पर 5लाख कि पेनॉल्टी लगा सकता है।लेकिन मप्र॰ रेरा मै अब तक यह तय नहीं है, कि किस आधार पर कितना पेनॉल्टी लगाई जा सकती है। रेरा कानून के तहत बिल्डरों के खिलाफ लगाई गई पेनॉल्टी कि मप्र॰ के राजस्व विभाग के अधिकारी भू भाटक के बकाया के रूप में वसूल सकता है। 4 साल में 200 से अधिक केस में बिल्डर्स से वसूली करके बकाया देने आरआरसी जारी है। 90% आरआरसी पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। रेरा ने पिछले 3 सालो में सेंकड़ों प्रोजेक्ट को नियमो पालन न करने के कारण सस्पेंड कर दिया। बिल्डर कोर्ट गए,जहां उनको काम करने कि मंजूरी फिर से मिल गयी है। क्योकि रेरा यह नहीं नटा पाया कि सस्पेंशन का आधार क्या था। इधर एपी श्रीवास्तव,चेयरमेंन, रेरा, मप्र॰ का कहना है कि रियल एस्टेट रेगुलेशन के एक्ट के सेक्शन 84और85 के तहत कानून और कायदे बनाए जाते थे। राज्य सरकार ने 2017 में कानून बना दिये थे। कायदों का ड्राफ्ट बना लिया गया है। यह जल्द राज्य सरकार के पास मंजूरी को भेजा जाएगा।