भोपाल (अभिलाषा मिश्रा)
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल मे कोरोना महामारी की आपदा के समय मौका तलाशने का अवसर इससे सही उदाहरण क्या होगा। भोपाल में जनवरी 2020 से मई 2021 तक में 102 नए निजी अस्पताल शुरू हुये है।इनमे तो 29 अस्पताल अभी दूसरी लहर के दोरान शुरू किए गए है। भोपाल के नर्सिंग होम एक्ट के तहत रजिस्टर्ड अस्पतालों के रिकॉर्ड मे मालूम हुआ की एक एक डॉक्टर के नाम पर 10 अस्पताल मध्यप्रदेश नर्सिंग होम एक्ट के तहत रजिस्टर्ड हो गए है। इनके रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट जारी करते समय जिम्मेदार अफसर ने डॉक्टर्स के नाम ओर उनके एमसीआई रजिस्ट्रेशन ढंगसे चेक नहीं किए है। भोपाल के डॉ॰ प्रभाकर तिवारी का कहना है कि कोई भी एमबीबीएस डॉक्टर अधिकतम तीन अस्पतालों में बतौर रेसिडेंट ड्यूटि कर सकता है। यदि कोई इससे ज्यादा मे कर रहा है तो संबन्धित अस्पतालों पर जांच कराएंगे। और इधर जांच में पता चला कि रायसेन रोड स्थित कॉलोनी मे रहने वाले 68 वर्षीय हरिओम वर्मा भोपाल, सीहोर और शाजापुर के 10 अस्पतालों में रेसिडेंट डॉक्टर रजिस्टर्ड है। और रजिस्ट्रेशन शाखा के अनुसार इनमें से 8 अस्पताल जुलाई 2020 से अप्रैल 2021 के बीच शुरू हुये है। और भोपाल के 7 अस्पताल में से5 के संचालकों ने नर्सिंग होम रजिस्ट्रेशन के लिए जमा दस्तावेजों में उन्हे परमानेंट तो 2 ने प्रोविजनल रेसिडेंट डॉक्टर बताया गया है। और सीहोर ,शाजापुर के 3 अस्पतालों मे परमानेंट रेसिडेंट है। और इसी तरह डॉ॰ गौतम चंद्र गोस्वामी एमबीबीएस है। जिनका भोपाल मे पाँच और सीहोर में एक निजी अस्पताल मे परमानेंट रेसिडेंट डॉक्टर कार्यरत है। जांच में पुष्टि होने पर नर्सिंग होम का रजिस्ट्रेशन निरस्त किया जा सकता है, क्योकि रजिस्ट्रेशन के लिए उन डॉक्टरों का कार्यरत होना बताया है, जो उनके यहां काम नहीं कर रहे है।और नर्सिंग होम के रजिस्ट्रेशन के लिए संबंधित संस्था को गलत रजिस्ट्रेशन नंबर देने के लिए मेडिकल काउंसिल का रजिस्ट्रेशन निरस्त कर सकती है।
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