भोपाल
सरकार ने ब्लैक फंगस के महामारी घोषित हुए बीस दिन बीत चुके है।लेकिन यहां के पांच मेडिकल कॉलेजों (छिंदवाड़ा, शहडोल, विदिशा, खंडवा, दतिया) यहां अब तक एक भी संदिग्ध मरीज की एंडोस्कोपी नहीं हुई है। क्योकि यहां कोई मरीज भर्ती ही नहीं हुआ है। जबकि इसका संक्रमण रोकने के लिए कोविड पॉज़िटिव ओर कोविड रिकवरी मरीजों की नेजल एंडोस्कोपी कर संक्रमितों की पहचान करने के निर्देश चिकित्सा शिक्षा संचालनालय 15 दिन पहले दे चुका है। ब्लैक फंगस के मरीज भले ही कम हो रहे है। लेकिन उनके इलाज में लगने वाले एंफोटेरिसिन-बी-इंजेक्शन में भरी मात्रा में कमी सामने आई है। शहर में फिलहाल 1056 मरीज भर्ती है। और इनमे से 45 मरीज गंभीर हालत में है। और इस बीच ही इंदौर, भोपाल, जबलपुर, ग्वालियर के मरीजों को इंजेक्शन नहीं मिल पा रहे है। और इस बीमारी एक मरीज को एक दिन मे 3 से 4 इंजेक्शन लगते है लेकिन मरीजों का ये डोज़ भी पूरा नहीं हो पा रहा है।जबकि छिंदवाड़ा, खंडवा, के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में एक भी मरीज भर्ती नहीं है। लेकिन वह तीन दिन से 47 इंजेक्शन क्रमशः 11-और 36 के स्टॉक मे रखे है।और इधर रतलाम मे सरकारी अस्पताल मे 10 बेड रिजर्व है पर एक मरीज ही भर्ती है। लेकिन यहा मेडिसिन विभाग मे 55 इंजेक्शन रखे है। वही रीवा के एसएस मेडिकल कॉलेज मे 29 मरीज भर्ती है, इनमे से तीन कि हालत गंभीर है पीआर यहा इंजेक्शन का डोज़ बिलकुल भी नहीं है। और इस बारे में जानकारी स्वास्थ संचालनालय की आईडीएसपी सेल द्वारा मंगलवार को बनाई गई सरकारी मेडिकल कॉलेजों की ब्लैक फंगस के मरीजों की स्टेटस रिपोर्ट से मिली है। और तो परदेशो में 13 सरकारी कॉलेजों में 703 और 47 निजी अस्पतालों में 353 मरीज इलाज ले रहे है, इसमे 349 मरीज इंदौर के एमजीएम मेडिकल कॉलेज में भर्ती है। भोपाल में 117 मरीज इलाज ले रहे है। इन 353 मरीजों के लिए 850 इंजेक्शन अस्पतालों में दिये गए है लेकिन मरीजों की संख्या के हिसाब से यह इंजेक्शन कम है। कई अस्पतालों मे मरीजों को आधा डोज़ भी नहीं मिल पा रहा है।
|