आज ऐसे व्यक्तित्व के बारे में लिखने जा रही हूं, जो जाने माने लेखक इतिहासकार हैं।उनका जन्म 25अगस्त 1945 को अकबरपुर यूपी में हुआ। 1973 से उन्होंने अपने मेडिकल कैरियर की शुरुआत की ,1977 से 27 साल तक विभिन्न सामर्थ्य में आईआईटी में सेवा की और भारतीय सद्भावना के कार्य करने लिए उन्होंने 2004 में मुक्ति ले ली । उन्होंने बहुत सारी किताबें लिखी कम्यूनल पॉलिटिक्स, इंडियन नेशनलिज्म वर्सेज हिंदू नेशनलिज्म,गॉड पॉलिटिक्स, अंबेडकर एंड हिंदुत्व पॉलिटिक्स ... जिसके लिए उन्हें इंदिरागंधी अवार्ड फॉर नेशनल इंटीग्रेशन भी मिला। एक बात तो बिल्कुल सच कही गई है हर व्यक्ति के लिए खुदा कोई न कोई काम देकर दुनिया में भेजता है। अब किसी के पास गॉड गिफ्टेड पावर होते हैं जो बहुत अनूठी छाप छोड़ते हैं अपने जीवन में। उन्ही लोगों में से एक हमारे डा० रामपुनियानी सर हैं। बताते चलें कि डा. रामपुनियानी सर आईआईटी मुंबई के प्रधानाध्यापक थे समय से पहले ही कार्य से मुक्ति लेकर कई दशकों से साम्प्रदायिक प्रतिगामी और संकीर्ण सामाजिक ताकतों के खिलाफ पैनी कलम चला रहे हैं, उनके लेख देश भर की पत्रिकाओं, अखबारों और वेबसाइटों पर नियमित रूप से प्रकाशित होते रहते हैं , साथ ही वे देशभर में विचार घोष्टियों, सम्मेलनों में में शामिल होकर अपने विचार निर्भीकता से रखते हैं । इंशा अल्लाह ऐसे महान व्यक्तित्व से लाइव मीटिंग का मौका मिल रहा है और उनकी मीटिंग की अध्यक्षता भी करने का मौका मिल रहा है अल्लाह मुझे कामयाब बनाए। डा. पुनियानी सर ने दुनिया के सामने इतिहास का भी सच दिखाया किस तरह किताबों में तोड़ मरोड़ कर शासकों के इतिहास को दिखाया गया है जिससे एक खास वर्ग के तहत देश में गलत भावना उत्पन्न हो गई है। मेरी सबसे यही गुजारिश है कि उनकी किताबों को पढ़े , विडियोज सुने सुनाए जिससे लोगो के सामने सच खुलकर सामने आ सके और जो अफवाहें फैली हैं खत्म हो सके और देश में सभी जातियों के लोग प्रेम पूर्वक रहें साम्प्रदायिक ताकतों का विनाश हो।
फातिमा अनवर
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