(lलखनऊ से फातिमा खातून)
देश भर में 5 राज्यों में चुनाव हुए , जनता एक्जिट पोल के नतीजे देख रही थी और 10 मार्च का इंतजार भी बड़े बेसब्री से कर रही थी, लेकिन जिस जगह कांग्रेस सत्ता में थी चुनाव निष्पक्ष हुआ जैसे होना चाहिए और जिसे जनता ने दिल से चुना था उसे जीत मिली। वही जिस जिस राज्य में बीजेपी सत्ता में थी वहां से दूसरी विपक्षी पार्टी क्यूं नहीं जीती .. सोचने वाली बात है.. क्यूं भाई चारों तरफ खुशहाली हरियाली थी क्या, बीजेपी के रामराज्य में। नहीं ऐसा बिल्कुल नहीं था नोटबंदी से लेकर कोरोना काल, बेरोजगारी से मरने वालों की संख्या , किसानों का 1 साल चला धरना , क्या जनता सब भूल गई??? नहीं बिलकुल भी नहीं जनता बदलाव चाहती थी ,लेकिन सत्ताधारी गुंडों ने प्रशासन से ही गुंडों का काम करवाया ,प्रशासन न जाने किस दबाव में इस चुनाव जैसे निष्पक्ष कार्य में गलत काम में साथ दिया। अब ये तो वही लोग जानते हैं ऐसा क्यों किया अपने जमीर को गिरवी क्यूं रखा। सबको एक न एक दिन दुनिया से जाना है लेकिन यह देश यही रह जायेगा तो दुनिया में रहते हुए ऐसे काम करो कि आने वाले समय में लोगों का भला हो लोग याद करें आपको , नाकी गलियां दें। अब देखिए दिल्ली में केंद्र ने MSD चुनाव को एक महीने के लिए हार की डर से टाल दिया । जो कर्म इंसान खुद करता है ना वही सोचता है कि सामने वाला भी यही करेगा । मोदी जी सोच रहे होंगे कि दिल्ली में आप सत्ता में है तो आप ही जीतेगी वहां। ये सत्य भी है की जब तक ईवीएम है तब तक बीजेपी सत्ता में है।जीत के बाद लाख चिल्ला कर क्या करोगे जब चिड़िया चुग गई खेत। यदि चिल्लाना था विरोध करना ईवीएम का तो चुनाव से पहले करना था कि हम चुनाव नही लड़ेंगे जब तक ईवीएम है। ये सारी चालें लोकतंत्र को राजतंत्र में बदलने की साजिश है। जनता त्रस्त है फिर जीत .. एसे कैसे ?.. अब तो में विपक्षी दलों को कहूंगी सन्यास ले लो चुनाव लडने को जरूरत नहीं है क्योंकि तुम लाख लोगों की भीड़ जुटा लो लोग एकतरफा आपको वोट करें लेकिन जीतेगी एक ही पार्टी और इसी तरह चुनाव हुआ 2024 में तो लिखकर रख लो फिर वही तथाकथित , 56 इंच सीने वाला ही आएगा । यूपी में अच्छे दिनों वाले सौगात मिलनी शुरू हो गई हैं । जय चुनाव आयोग की जय हो संविधान की।
|