इन दिनों अचानक कश्मीर फाइल्स मूवी काफी चर्चे में है , फिल्म काल्पनिक ही होती है ये सभी जानते हैं मनोरंजन के लिए । अनुपम खेर जो इसमें कश्मीरी पंडित की भूमिका निभा रहे हैं, कभी सेकुलर हुआ करते थे। 2012, 2014 के बीच उनके दिल में हिंदू मुस्लिम दोनों के लिए सिंपैथी थी। लेकिन ऐसा क्या हुआ जो आरएसएस की जुबान बोलने लगे और उन्हें ट्वीट भी डिलीट करनी पड़ी । कुछ राज तो है जो बेचारे अनुपम खेर छिपा रहे हैं। जो अपनुपमखेर अपने पेरेंट्स को किराए के मकान में कश्मीर छोड़कर आए तो फिर देखने नहीं गए उनकी हेल्प करने वाला एक मुस्लिम फैमली ही थी भूल गए अनुपम खेर??? खैर वक्त के हिसाब से लोग बदल जाते हैं। अगर इस फिल्म से लोग भड़क रहे हैं तो इस फिल्म को टैक्स फ्री क्यों किया गया?? पहले देश पे बनी फिल्म को टैक्स फ्री किया जाता था अब नफरत और दंगे भड़कने वाली फिल्म को टैक्स फ्री किया जा रहा है। अत्यंत दुख की बात है और इसे मौजूदा सरकार प्रमोट भी कर रही है जबकि रोक लगानी चाहिए थी। अरे हम तो ये भूल ही रहे हैं की ये वही आरएसएस है जो देश की आजादी में हिस्सा नहीं लिया आज वही सत्ताधारी हैं तो कोई चौंकने वाली बात नहीं है इनलोगो की नीति अंग्रेजो वाली है। और तो और देखिए फिल्म के डायरेक्टर विवेक अग्निहोत्री के पास्ट के ट्वीट देखने से अंदाजा लगा सकते हैं कि ये कैसी घटिया मानसिकता वाला इंसान है , जी हां ये वही अग्निहोत्री है जिसपे तनु श्री दत्त ने आरोप लगाया था कि फिल्म करनी है तो न्यूड डांस करके दिखाओ। और कमांल की बात यह है कि अनुपम खेर की तरह विवेक अग्निहोत्री ने भी ट्वीट डिलीट किए। कहा जाता है न चोर _चोर मौसेरे भाई वैसे ही एक क्वालिटी के लोगों की फौज तैयार हो रही है अफसोस कि ऐसे लोगों पर लोग यकीन कर रहे हैं । जब कश्मीर से पंडितों का पलायन दिखाया जा रहा है फिल्म में उस वक्त क्यों नहीं चिंता हुई जो अब चिंता हो रही है वोट बैंक के लिए। एक ग़लतफ़हमी यह है कि 19-20 जनवरी को सारे पंडित घाटी से निकल गए असल में विस्थापन शुरू हुआ मार्च में जो फिर जारी रहा। उस ज़माने का कोई दस्तावेज़ देख लीजिए, उस दौर के किसी पंडित से पूछ लीजिए। पहले श्रीनगर खाली हुआ फिर गाँव 7500 परिवार 1995 के आसपास निकले। 800 परिवार अब भी हैं। और 1990 में 89 पंडित में थे 1635 मुस्लिम । ये सारे आंकड़े इसलिए गिना रही हूं क्योंकि जो नफरत परोसा जा रहा उससे सभी लोगों से अपील है गुजारिश है कि आपसी सौहार्द को बनाए रखें , हर जगह , हर तरफ से केवल राजनीति के लिए सत्ता में बने रहने के लिए एक मात्र प्रयोग किया जा रहा है। जब भी हिंदुओं को जलाया गया है us वक्त की सरकार देखिए किसकी थी बीजेपी की थी उस वक्त बीजेपी ने क्यू नहीं रोका क्यूं nhi बचाया जो आज चिंता हो रही है फिल्म के जरिए नफरत बांटी जा रही है?? आखिर क्यूं?.. मैने कश्मीर में रहने वाले लोगों से बात की , वहां के लोगों ने बताया ऐसा कुछ नहीं है जो फिल्म में दिखाया गया है, हम आज भिवसाठ रहते हैं और उस वक्त भी साथ थे । अगर पंडित की मारा जाता था तो मुस्लिम को दर्द होता था और मुस्लिम नारा जाता था तो सिख और पंडित को दर्द होता था। सभी देशवासियों से गुजारिश यही है कि फिल्म ने धर्म के नाम बहुत कमाई कर ली है उसका कुछ हिस्सा पंडितों के हित के लिए भी खर्च किया जाए , और ये धर्म नाम की अफीम खाने से बचे देश को बचाएं अपनों को बचाएं। फातिमा अनवर
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