...गन्ने की मिठास |
लेखिका निरुपमा सिंह |
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गन्ने की ही भाँति
अब रिश्तों में भी
मिठास कम होने लगी है
आते हैं लोग और
जाते हैं लोग ,
बस औपचारिकता
निभाते हैं लोग
रिश्तों से..
खिलवाड़ करते हैं लोग
समझ से परे है..
ऐसा आखिर!
क्यूं करते हैं लोग?
निभाना नहीं आता
तो रिश्ते बनाते ही
क्यूं है लोग?
यहां सभी तरह के
बसते हैं इंसान
कुछ अच्छे- कुछ बुरे
सही कहा है..
दुनिया सतरंगी है
रंग रंगीली है
पल- पल रंग बदलती है !!
#निरुपमा सिंह#
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