(सैफुद्दीन सैफी)
मध्यप्रदेश के अभी तक की सरकारो मे कोई मायकालाल ग्रहमंत्री आज तक नही बना जिसने इतनी आक्रामक छवि बनाई हो जितनी आज के ग्रहमंत्री पंडित नरोत्तम मिश्रा ने बना ली है। पूर्ववर्ती काँग्रेस की सरकारे रही हो या सकलेचा और पटवा जी की भाजपा सरकारे या शिवराज की विगत तीन कार्यकाल की सरकारे इनमे ऐसे भी ग्रहमंत्री रहे है जिन्हे अपनी मर्जी का अपने जिले मे एसपी तक की पदस्थापना करवाने मे पसीना आ जाता था कई बार तो ये खबरे भी सुनने को मिलती थी पूर्ववर्ती सरकारो मे रहे ग्रहमंत्रियों के बारे मे के वो अपने विधानसभा छेत्र के थानेदार का भी तबादला नही करवा पाते थे।
मगर आज कि शिवराजसिह चौहान कि सरकार के ग्रहमंत्री नरोत्तम मिश्रा के तेवर प्रदेश के मुखिया से ज्यादा आक्रामकता और तीखे देखने को मिल रहे है। और ये हाल कि खरगोन घटना के बाद जिस तरह कि एक पक्षीय कार्यवाही पुलिस और जिला प्रशासन ने कि है उससे भी ये साबित होता है,, और टीवी न्यूज़ और अखवारों मे खरगोन घटना के बाद जो वक्तव्य प्रदेश के ग्रहमंत्री ने दिये उसको सुनकर पढ़कर ये लगता है कि, वो ये मान बैठे कि मंत्री पद ग्रहण करने पहले जो सविधान के नाम पर ईश्वर के नाम पर जो शपथ मिश्राजी ने ली थी वो उसी के अनुसार चल रहे है? खेर अब अपने ही पुलिस विभाग कि नाकामी के ठीकरे को ग्रहमंत्री जिस तरह अपनी आक्रामकता दिखाकर प्रशासनिक कार्यवाही को सच साबित करने का जो प्रयास कर रहे है, उसके पीछे सियासी मंसूबे क्या है इसपर भी गौर करना जरूरी है।
प्रदेश कि राजनीति को करीब से जानने समझने वालों कि चर्चाओ पर अगर विश्वास किया जाये तो ये निष्कर्ष निकलता दिखाई देता है कि, ग्रहमंत्री पंडित नरोत्तम मिश्रा कि नजर किसी भी हालत मे प्रदेश के मुखिया का पद पर काबिज होने की है। जिसके कारण वो अपनी एक कट्टर हिंदुवादी छवि बनाकर संघ के राष्ट्रीय नेताओ की नजरों मे आना चाह रहे है।
अब बात करते है प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह की तो जब शिवराज पहली बार उमा जी के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफे के बाद प्रदेश के मुख्यमंत्री बने तो उन्होने कभी भी अपनी छवि कट्टरवादी नेता की नही बनने दी अटलजी के सर्वधर्म समभाव से प्रेरणा लेते हुए उन्होने अपना बर्ताव बहुत सरल और लचीला रखा ये ही कारण है, कि प्रदेश के अधिकांश मुस्लिम धर्म के लोगो का साथ और समर्थन हमेशा शिवराज जी को मिलता रहा और खुद मुख्यमंत्री शिवराज जी ने भी विभिन्न मुस्लिम समुदय के कार्यक्रमों मे बड़चढ़ कर हिस्सा भी लिया और मुस्लिम आयोजनो मे सरकारी मदद भी कि जिसके चलते प्रदेश का मुस्लिम तबका आज भी शिवराज को पसंद करता है।
मगर 2019 मे चुनाव हारने और फिर दलबदलुओ कि मदद से चौथी बार सत्ता मे काबिज होने के बाद शिवराज के सामने अपनी सौम्य सरल छवि को बदलने कि क्या मजबूरी आ गई कि वो चहेते मामा कि जगह अब बुलडोजर मामा बनना ज्यादा पसंद कर रहे इसके पीछे शिवराज कि राजनैतिक मजबूरी है
दरअसल भाजपा के केन्द्रीय नेतृत्व को उनकी सौम्य सरल चावि अब रास नही आ रही जिसके चलते वो भी उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री कि तरह बुलडोजरवादी छवि बनाकर शायद ये सिद्ध करना चाहते है कि मे भी सख्त मिजाजी मे योगी जी से कम नही मगर इसमे शिवराज से ज्यादा उनके ग्रहमंत्री उनसे 10 कदम आगे चल रहे है। अब देखना बाकी है कि भाजपा के केन्द्रीय नेतृत्व ग्रहमंत्री नरोत्तम मिश्रा को मध्यप्रदेश का नया योगी बनाएगा या मामा शिवराज ही कायम रहेंगे ?