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मध्यप्रदेश के 26 जिलों में लंपी वाइरस ने पसारे पैर , 1912 गाँव लंपी की चपेट में ,101 गायों की मौत |

भोपाल :( नुजहत सुल्तान) राजस्थान के बाद अब मध्यप्रदेश में भी लंपी वायरस तेज़ी से फैल रहा हैं | 4 अगस्त को रतलाम में

 इसका असर सबसे पहले दिखाई दिया | इसके बाद इसके  बढ़ते हुए संकर्मण नें तबाही मचा दी यह संख्या डेढ़

महीने में लगभग 8 हज़ार के करीब पहुँच गई हैं | 26 जिलों के 1912 गाँव लंपी की चपेट में आ चुके हैं

7 हज़ार से ज़्यादा गौ माताएँ संक्रमित ,और 101 गायों की मौत हो चुकी हैं | सबसे ज़्यादा नुकसान खंडवा

 नीमच, और मंदसोर जिलें में हुआ हैं |इस वायरस का सबसे ज़्यादा असर राजस्थान और गुजरात के पास के इलाक़े

आलीराजपुर , झाबुआ , रतलाम , मंदसोर , नीमच , राजगढ़ , बुरहानपुर में हुआ हैं | इन जिलों में सुरक्षा बढ़ा दी

गई हैं | पशु चिकित्सा संस्थाओं, मुख्य गिराम इकाई, पशु माता महामारी आदि में लगे वेटरनरी डॉक्टरों ,

असिस्टेंट सर्जन और असिस्टेंट वेटरनारी डॉक्टरों को तैनात किया हैं | राज्य पशु रोग अन्वेषण प्रयोगशाला भोपाल

में कंट्रोल रूम बनाया गया हैं | मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान नें बुधवार को लंपी वायरस का परिक्षण किया |

बैठक में बताया गया की वायरस से लगभग 8000 पशु प्रभावित हुए हैं | जिसमें 5432 पशु ठीक हुए हैं |

वैक्सिन और इलाज के लिए मध्यप्रदेश सरकार नें केंद्र की एस्केड योजना के तहत 1.76 रुपए की मांग की हैं |

लंपी वायरस का दूध पर कोई असर नही हैं | लंपी वायरस गाय से गाय और गाय से भैंस में फैलता हैं |

लंपी की मूल वेक्सीन अभी नहीं आई हैं | वैकल्पिक वैक्सीन गोट पाक्स दिया जा रहा हैं |यह बकरियों और

भेड़ को दिया जाता हैं | गायों को इसकी तीन गुनाह ज़्यादा डोज़ देनी पड़ती हैं | यह किस तरह की बीमारी हैं ?

यह एक स्किन बीमारी हैं | जो पाक्स प्रजाति के वायरस से गाय और भैंसों में होती हैं | इसके कई लक्षण हैं जैसे

पशु को बुखार , अत्यधिक लार , आँख – नांक से पानी बहना ,पैरों में सूजन ,दूध कम देना , पशुओं में गर्भपात

शरीर पर 2 से 5 सेमी आकार की गठानें बन जाना | वैक्सीन के अलावा इसका उपचार संक्रमित पशु ,कीट ,

किलनी ,मक्खी – मच्छर से स्वस्थ पशुओं को दूर रखना हैं |  

भोपाल :( नुजहत सुल्तान) राजस्थान के बाद अब मध्यप्रदेश में भी लंपी वायरस तेज़ी से फैल रहा हैं | 4 अगस्त को रतलाम में

 इसका असर सबसे पहले दिखाई दिया | इसके बाद इसके  बढ़ते हुए संकर्मण नें तबाही मचा दी यह संख्या डेढ़

महीने में लगभग 8 हज़ार के करीब पहुँच गई हैं | 26 जिलों के 1912 गाँव लंपी की चपेट में आ चुके हैं

7 हज़ार से ज़्यादा गौ माताएँ संक्रमित ,और 101 गायों की मौत हो चुकी हैं | सबसे ज़्यादा नुकसान खंडवा

 नीमच, और मंदसोर जिलें में हुआ हैं |इस वायरस का सबसे ज़्यादा असर राजस्थान और गुजरात के पास के इलाक़े

आलीराजपुर , झाबुआ , रतलाम , मंदसोर , नीमच , राजगढ़ , बुरहानपुर में हुआ हैं | इन जिलों में सुरक्षा बढ़ा दी

गई हैं | पशु चिकित्सा संस्थाओं, मुख्य गिराम इकाई, पशु माता महामारी आदि में लगे वेटरनरी डॉक्टरों ,

असिस्टेंट सर्जन और असिस्टेंट वेटरनारी डॉक्टरों को तैनात किया हैं | राज्य पशु रोग अन्वेषण प्रयोगशाला भोपाल

में कंट्रोल रूम बनाया गया हैं | मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान नें बुधवार को लंपी वायरस का परिक्षण किया |

बैठक में बताया गया की वायरस से लगभग 8000 पशु प्रभावित हुए हैं | जिसमें 5432 पशु ठीक हुए हैं |

वैक्सिन और इलाज के लिए मध्यप्रदेश सरकार नें केंद्र की एस्केड योजना के तहत 1.76 रुपए की मांग की हैं |

लंपी वायरस का दूध पर कोई असर नही हैं | लंपी वायरस गाय से गाय और गाय से भैंस में फैलता हैं |

लंपी की मूल वेक्सीन अभी नहीं आई हैं | वैकल्पिक वैक्सीन गोट पाक्स दिया जा रहा हैं |यह बकरियों और

भेड़ को दिया जाता हैं | गायों को इसकी तीन गुनाह ज़्यादा डोज़ देनी पड़ती हैं | यह किस तरह की बीमारी हैं ?

यह एक स्किन बीमारी हैं | जो पाक्स प्रजाति के वायरस से गाय और भैंसों में होती हैं | इसके कई लक्षण हैं जैसे

पशु को बुखार , अत्यधिक लार , आँख – नांक से पानी बहना ,पैरों में सूजन ,दूध कम देना , पशुओं में गर्भपात

शरीर पर 2 से 5 सेमी आकार की गठानें बन जाना | वैक्सीन के अलावा इसका उपचार संक्रमित पशु ,कीट ,

किलनी ,मक्खी – मच्छर से स्वस्थ पशुओं को दूर रखना हैं |  

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प्रधान संपादक समाचार संपादक
सैफु द्घीन सैफी डॉ मीनू पाण्ड्य
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