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उच्च शिक्षा विभाग की बड़ी लापरवाही के चलते 73 दिन बाद भी सिलेबस नहीं बना ,4 लाख से अधिक विद्दार्थियों की पढ़ाई प्रभावित हुई

भोपाल : मध्यप्रदेश में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के तहत उच्च शैक्षणिक संस्थानों के संचालक का दूसरा साल शुरू हो चुका हैं

इस नीति में वोकेशनल एजुकेशन एक ज़रूरी हिस्सा हैं | इसमें स्टूडेंट को बीए ,बीएससी, बीकॉम जैसे परंपरागत कोर्स करने के साथ ही

नौकरी तैयार ह्यूमन रिसोर्स यानि रोजगार – स्वरोजगार के लिए तैयार करना हैं |चूंकि पारंपरिक कोर्स की अवधि ज़्यादा होती हैं | इस कारण

अंडर ग्रेजुएशन यूजी कोर्स में वोकेशनल कोर्स अनिवार्य किए गए | इसका मतलब  तीन साल तक बच्चों को व्यावसायिक शिक्षा प्राप्त करनी ही हैं |

लेकिन  इस बात पर कोई गौर नहीं किया जा रहा हैं | क्योंकि इसे लागू करने वाला विभाग ही गंभीर नहीं हैं? दरअसल एकेडमिक सत्र

1 जुलाई से शुरू हो चुका हैं | लेकिन 73 दिन बीत जाने के बाद भी अभी तक सेकंड ईयर में पढ़ाये जाने वाले वोकेशनल कोर्स के सिलेबस

तैयार नहीं हो सके हैं | जबकि वोकेशनल कोर्स 4 क्रेडिट का एक ज़रूरी पेपर हैं | सिलेबस नहीं होने के कारण देश भर के  लाखों बच्चों की पढ़ाई पर

गहरा प्रभाव पड़  रहा हैं | इसमें बीयू से संबन्धित कॉलेजो में 75 हज़ार छात्र शामिल हैं | वहीं कॉलेजों के अध्यापक भी सिलेबस आने का इंतज़ार

 कर रहे हैं | उन्हें अभी तक नहीं पता कि बच्चों को क्या पढ़ना हैं, सवाल यह उठता हैं, कि जब सिलेबस नहीं हैं, तो शिक्षक बच्चों को क्या

पढ़ाएंगे? हायर एजुकेशन की पूर्व डायरेक्टर डॉ. प्रमिला मैनी का कहना हैं कि समय पर चीज़ें नहीं होने से छात्र और शिक्षक दोनों को परेशान

होना पड़ता हैं | एनईपी बहुत अच्छी पॉलिसी हैं | लेकिन जब सही ढंग से प्लानिंग नहीं होती हैं तो हम कोई भी पॉलिसी सही ढंग से नहीं चला सकते |

जब सिलेबस ही नहीं हैं तो बच्चे पढ़ेंगे कैसे और शिक्षक उन्हें किस आधार पर पढ़ाएंगे बीयू के डॉ. एचएस त्रिपाठी का कहना हैं कि वोकेशनल कोर्स

एक महत्वपूर्ण कोर्स हैं अभी तक इसे जारी नहीं किया गया तो यह बहुत बड़ी कमी हैं |

क्यों ज़रूरी हैं, वोकेशनल कोर्स : बीए, बीकॉम, बीएससी जैसे पारंपरिक कोर्सेज में  ज़्यादातर क्लास  टीचर के मॉडल को ज़्यादा फॉलो करते हैं |

इसके विपरीत वोकेशनल कोर्स में प्रैक्टिकल ज़्यादा अच्छे होते हैं | जिनमें छात्रों को ट्रेनिंग भी करनी होती हैं जिससे छात्र जॉब के लिए तैयार

हो जाते हैं | इसलिए इस कोर्स का खास ध्यान स्पेशलाइज्ड नॉलेज पर दिया जाता हैं | इस तरह के कोर्स में ट्रेनिंग, इंसट्रक्शन और क्लासेस

शामिल होती हैं | यह कोर्स मार्केट की ज़रूरियात को ध्यान में रखकर तैयार किए जाते हैं | साथ ही ट्रेंड्स के प्रति जागरूक बनाते हैं | जिससे

छात्र को नौकरी ढूँढने में परेशानी भी न हो और संबंधित एरिया में जॉब मिलने के अवसर प्राप्त हो सकें | मध्यप्रदेश में नई राष्ट्रीय शिक्षा

नीति बिना तैयारी के उच्च शिक्षा के अंतर्गत आने वाले सभी विश्वविध्यालयों और उनसे संबद्ध कॉलेजों पर लागू कर दी गई ऐसे  में अब

जब दूसरा वर्ष शुरू हो चुका हैं | इसके बाद भी स्तिथियां बे पटरी दिख रही हैं | सत्र 2021 -22 के लिए यह बात कही जाती रहीं कि पहला

साल हैं | लेकिन उस साल में भी समय रहते चीज़ें नहीं संभाली गई | इस कारण प्रथम वर्ष के रिज़ल्ट नहीं आ सके | इनके प्रोविज़नल

तौर पर सेकंड ईयर में प्रमोशन किए जा रहें हैं | लेकिन वोकेशनल कोर्स का सिलेबस जारी नहीं किया | अनुमोदन  होते ही जारी करेंगे

सिलेबस |  सिलेबस तैयार हैं बस उच्च स्तर से अनुमोदन होना बचा हैं | अनुमोदन होते ही जारी कर दिया जाएगा सिलेबस इसमें एक

हफ्ता लग सकता हैं | सेकंड ईयर में विद्दार्थी चाहे तो वोकेशनल कोर्स बदल भी सकता हैं |

साथ ही उसने जो कोर्स फर्स्ट ईयर में लिया था | उसको रिपीट भी कर सकता हैं | उसके पास दोनों आप्शन रहेंगे |

भोपाल : मध्यप्रदेश में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के तहत उच्च शैक्षणिक संस्थानों के संचालक का दूसरा साल शुरू हो चुका हैं

इस नीति में वोकेशनल एजुकेशन एक ज़रूरी हिस्सा हैं | इसमें स्टूडेंट को बीए ,बीएससी, बीकॉम जैसे परंपरागत कोर्स करने के साथ ही

नौकरी तैयार ह्यूमन रिसोर्स यानि रोजगार – स्वरोजगार के लिए तैयार करना हैं |चूंकि पारंपरिक कोर्स की अवधि ज़्यादा होती हैं | इस कारण

अंडर ग्रेजुएशन यूजी कोर्स में वोकेशनल कोर्स अनिवार्य किए गए | इसका मतलब  तीन साल तक बच्चों को व्यावसायिक शिक्षा प्राप्त करनी ही हैं |

लेकिन  इस बात पर कोई गौर नहीं किया जा रहा हैं | क्योंकि इसे लागू करने वाला विभाग ही गंभीर नहीं हैं? दरअसल एकेडमिक सत्र

1 जुलाई से शुरू हो चुका हैं | लेकिन 73 दिन बीत जाने के बाद भी अभी तक सेकंड ईयर में पढ़ाये जाने वाले वोकेशनल कोर्स के सिलेबस

तैयार नहीं हो सके हैं | जबकि वोकेशनल कोर्स 4 क्रेडिट का एक ज़रूरी पेपर हैं | सिलेबस नहीं होने के कारण देश भर के  लाखों बच्चों की पढ़ाई पर

गहरा प्रभाव पड़  रहा हैं | इसमें बीयू से संबन्धित कॉलेजो में 75 हज़ार छात्र शामिल हैं | वहीं कॉलेजों के अध्यापक भी सिलेबस आने का इंतज़ार

 कर रहे हैं | उन्हें अभी तक नहीं पता कि बच्चों को क्या पढ़ना हैं, सवाल यह उठता हैं, कि जब सिलेबस नहीं हैं, तो शिक्षक बच्चों को क्या

पढ़ाएंगे? हायर एजुकेशन की पूर्व डायरेक्टर डॉ. प्रमिला मैनी का कहना हैं कि समय पर चीज़ें नहीं होने से छात्र और शिक्षक दोनों को परेशान

होना पड़ता हैं | एनईपी बहुत अच्छी पॉलिसी हैं | लेकिन जब सही ढंग से प्लानिंग नहीं होती हैं तो हम कोई भी पॉलिसी सही ढंग से नहीं चला सकते |

जब सिलेबस ही नहीं हैं तो बच्चे पढ़ेंगे कैसे और शिक्षक उन्हें किस आधार पर पढ़ाएंगे बीयू के डॉ. एचएस त्रिपाठी का कहना हैं कि वोकेशनल कोर्स

एक महत्वपूर्ण कोर्स हैं अभी तक इसे जारी नहीं किया गया तो यह बहुत बड़ी कमी हैं |

क्यों ज़रूरी हैं, वोकेशनल कोर्स : बीए, बीकॉम, बीएससी जैसे पारंपरिक कोर्सेज में  ज़्यादातर क्लास  टीचर के मॉडल को ज़्यादा फॉलो करते हैं |

इसके विपरीत वोकेशनल कोर्स में प्रैक्टिकल ज़्यादा अच्छे होते हैं | जिनमें छात्रों को ट्रेनिंग भी करनी होती हैं जिससे छात्र जॉब के लिए तैयार

हो जाते हैं | इसलिए इस कोर्स का खास ध्यान स्पेशलाइज्ड नॉलेज पर दिया जाता हैं | इस तरह के कोर्स में ट्रेनिंग, इंसट्रक्शन और क्लासेस

शामिल होती हैं | यह कोर्स मार्केट की ज़रूरियात को ध्यान में रखकर तैयार किए जाते हैं | साथ ही ट्रेंड्स के प्रति जागरूक बनाते हैं | जिससे

छात्र को नौकरी ढूँढने में परेशानी भी न हो और संबंधित एरिया में जॉब मिलने के अवसर प्राप्त हो सकें | मध्यप्रदेश में नई राष्ट्रीय शिक्षा

नीति बिना तैयारी के उच्च शिक्षा के अंतर्गत आने वाले सभी विश्वविध्यालयों और उनसे संबद्ध कॉलेजों पर लागू कर दी गई ऐसे  में अब

जब दूसरा वर्ष शुरू हो चुका हैं | इसके बाद भी स्तिथियां बे पटरी दिख रही हैं | सत्र 2021 -22 के लिए यह बात कही जाती रहीं कि पहला

साल हैं | लेकिन उस साल में भी समय रहते चीज़ें नहीं संभाली गई | इस कारण प्रथम वर्ष के रिज़ल्ट नहीं आ सके | इनके प्रोविज़नल

तौर पर सेकंड ईयर में प्रमोशन किए जा रहें हैं | लेकिन वोकेशनल कोर्स का सिलेबस जारी नहीं किया | अनुमोदन  होते ही जारी करेंगे

सिलेबस |  सिलेबस तैयार हैं बस उच्च स्तर से अनुमोदन होना बचा हैं | अनुमोदन होते ही जारी कर दिया जाएगा सिलेबस इसमें एक

हफ्ता लग सकता हैं | सेकंड ईयर में विद्दार्थी चाहे तो वोकेशनल कोर्स बदल भी सकता हैं |

साथ ही उसने जो कोर्स फर्स्ट ईयर में लिया था | उसको रिपीट भी कर सकता हैं | उसके पास दोनों आप्शन रहेंगे |

भोपाल : मध्यप्रदेश में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के तहत उच्च शैक्षणिक संस्थानों के संचालक का दूसरा साल शुरू हो चुका हैं

इस नीति में वोकेशनल एजुकेशन एक ज़रूरी हिस्सा हैं | इसमें स्टूडेंट को बीए ,बीएससी, बीकॉम जैसे परंपरागत कोर्स करने के साथ ही

नौकरी तैयार ह्यूमन रिसोर्स यानि रोजगार – स्वरोजगार के लिए तैयार करना हैं |चूंकि पारंपरिक कोर्स की अवधि ज़्यादा होती हैं | इस कारण

अंडर ग्रेजुएशन यूजी कोर्स में वोकेशनल कोर्स अनिवार्य किए गए | इसका मतलब  तीन साल तक बच्चों को व्यावसायिक शिक्षा प्राप्त करनी ही हैं |

लेकिन  इस बात पर कोई गौर नहीं किया जा रहा हैं | क्योंकि इसे लागू करने वाला विभाग ही गंभीर नहीं हैं? दरअसल एकेडमिक सत्र

1 जुलाई से शुरू हो चुका हैं | लेकिन 73 दिन बीत जाने के बाद भी अभी तक सेकंड ईयर में पढ़ाये जाने वाले वोकेशनल कोर्स के सिलेबस

तैयार नहीं हो सके हैं | जबकि वोकेशनल कोर्स 4 क्रेडिट का एक ज़रूरी पेपर हैं | सिलेबस नहीं होने के कारण देश भर के  लाखों बच्चों की पढ़ाई पर

गहरा प्रभाव पड़  रहा हैं | इसमें बीयू से संबन्धित कॉलेजो में 75 हज़ार छात्र शामिल हैं | वहीं कॉलेजों के अध्यापक भी सिलेबस आने का इंतज़ार

 कर रहे हैं | उन्हें अभी तक नहीं पता कि बच्चों को क्या पढ़ना हैं, सवाल यह उठता हैं, कि जब सिलेबस नहीं हैं, तो शिक्षक बच्चों को क्या

पढ़ाएंगे? हायर एजुकेशन की पूर्व डायरेक्टर डॉ. प्रमिला मैनी का कहना हैं कि समय पर चीज़ें नहीं होने से छात्र और शिक्षक दोनों को परेशान

होना पड़ता हैं | एनईपी बहुत अच्छी पॉलिसी हैं | लेकिन जब सही ढंग से प्लानिंग नहीं होती हैं तो हम कोई भी पॉलिसी सही ढंग से नहीं चला सकते |

जब सिलेबस ही नहीं हैं तो बच्चे पढ़ेंगे कैसे और शिक्षक उन्हें किस आधार पर पढ़ाएंगे बीयू के डॉ. एचएस त्रिपाठी का कहना हैं कि वोकेशनल कोर्स

एक महत्वपूर्ण कोर्स हैं अभी तक इसे जारी नहीं किया गया तो यह बहुत बड़ी कमी हैं |

क्यों ज़रूरी हैं, वोकेशनल कोर्स : बीए, बीकॉम, बीएससी जैसे पारंपरिक कोर्सेज में  ज़्यादातर क्लास  टीचर के मॉडल को ज़्यादा फॉलो करते हैं |

इसके विपरीत वोकेशनल कोर्स में प्रैक्टिकल ज़्यादा अच्छे होते हैं | जिनमें छात्रों को ट्रेनिंग भी करनी होती हैं जिससे छात्र जॉब के लिए तैयार

हो जाते हैं | इसलिए इस कोर्स का खास ध्यान स्पेशलाइज्ड नॉलेज पर दिया जाता हैं | इस तरह के कोर्स में ट्रेनिंग, इंसट्रक्शन और क्लासेस

शामिल होती हैं | यह कोर्स मार्केट की ज़रूरियात को ध्यान में रखकर तैयार किए जाते हैं | साथ ही ट्रेंड्स के प्रति जागरूक बनाते हैं | जिससे

छात्र को नौकरी ढूँढने में परेशानी भी न हो और संबंधित एरिया में जॉब मिलने के अवसर प्राप्त हो सकें | मध्यप्रदेश में नई राष्ट्रीय शिक्षा

नीति बिना तैयारी के उच्च शिक्षा के अंतर्गत आने वाले सभी विश्वविध्यालयों और उनसे संबद्ध कॉलेजों पर लागू कर दी गई ऐसे  में अब

जब दूसरा वर्ष शुरू हो चुका हैं | इसके बाद भी स्तिथियां बे पटरी दिख रही हैं | सत्र 2021 -22 के लिए यह बात कही जाती रहीं कि पहला

साल हैं | लेकिन उस साल में भी समय रहते चीज़ें नहीं संभाली गई | इस कारण प्रथम वर्ष के रिज़ल्ट नहीं आ सके | इनके प्रोविज़नल

तौर पर सेकंड ईयर में प्रमोशन किए जा रहें हैं | लेकिन वोकेशनल कोर्स का सिलेबस जारी नहीं किया | अनुमोदन  होते ही जारी करेंगे

सिलेबस |  सिलेबस तैयार हैं बस उच्च स्तर से अनुमोदन होना बचा हैं | अनुमोदन होते ही जारी कर दिया जाएगा सिलेबस इसमें एक

हफ्ता लग सकता हैं | सेकंड ईयर में विद्दार्थी चाहे तो वोकेशनल कोर्स बदल भी सकता हैं |

साथ ही उसने जो कोर्स फर्स्ट ईयर में लिया था | उसको रिपीट भी कर सकता हैं | उसके पास दोनों आप्शन रहेंगे |

 

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प्रधान संपादक समाचार संपादक
सैफु द्घीन सैफी डॉ मीनू पाण्ड्य
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