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25 साल के संघर्ष के बाद एक बेटी ने आरक्षक बन, पिता को न्याय दिलवाकर अपना संकल्प पूरा किया

सागर : मध्यप्रदेश के थाने मे कार्यरत अभिलाषा बताती हैं कि सितंबर 1997 में जब वह स्कूल जाती थी तब एक दिन जब वह स्कूल से घर आई तो देखा घर पर कोई नहीं हैं उनके पिता मुरारी लाल का किसी से झगड़ा हो गया उन्होने खेत में काम कर रही माँ को जाकर बताया गाँव के कुछ लोगो ने उनके पिता को अकेला देखकर घेर लिया ओर बहुत बुरी तरह से पीटा था | मुरारी लाल के बड़े भाई उन्हे हॉस्पिटल लेकर गए उनके पिता बहुत बुरी तरह ज़ख्मी थे उनका चेहरा छोड़कर पूरे  शरीर पर घाव थे वह दर्द से तड़प रहे थे | उनका इलाज सागर में चला उसके बाद उन्हे जबलपुर रैफर कर दिया गया |  इसके बाद हम उन्हें घर ले आए | क्यूंकी हमारे पास इलाज के लिए पैसे नही थे | घर में माँ तीन बहने ओर एक भाई हैं घर पर कमाने वाला कोई ओर नहीं था सारी ज़िम्मेदारी मेरे कंधों पर आ गई घर का खर्चा घर में गाए भैंस का दूध बेचकर चलाते थे इलाज की कमी के कारण पिता 2012 में चल बसे मुरारी के बड़े भाई ने बताया कि मुरारी के बच्चे अकेले पड़ गए और उनकी किसी ने मदद नही की, उनकी तीन एकड़ से ज़्यादा ज़मीन भी दबाव बनाकर कुछ लोगो ने हड़प ली | तभी अभिलाषा ने संकल्प लिया कि पिता को न्याय दिलवाउंगी | इसके लिए उन्होने तैयारी की, और पुलिस फोर्स ज्वाइन कर ली | बरसों के संघर्ष के बाद अभिलाषा जाट ने पिता को मरने वाले तीन आरोपियों पवन,जोगिंद्र और विक्रम को हाईकोर्ट से सात-सात साल की सज़ा दिलवाकर इस बहादुर बेटी ने अपना संकल्प पूरा किया |  

 

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सैफु द्घीन सैफी डॉ मीनू पाण्ड्य
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