वॉशिंगटन : दफ्तरों में शोषण के खिलाफ अश्वेत महिलाओं का आंदोलन था लेकिन 2017 में यह आंदोलन दुनियाभर में फेल गया | हर महिला नें शोषण के खिलाफ आवाज़ उठाई तो गलत इरादे वाले पुरुषों के हौसले पस्त पड़ गए | काम की जगहों पर उनके शोषण के मामले कम हुए करतूतें उजागर होने से बड़े बड़े पदों पर काम करने वाले पुरुषों को पद छोड़ना पड़ा | मीटू कैंपेन को 5 साले हो गई प्यु रिसर्च ने अमेरिका में मीटू कैंपेन के असर पर सर्वे किया | सर्वे के अनुसार दफ्तरों के माहौल में काफी अंतर आया हैं | दफ्तरों में पुरुषों का लहजा महिलाओं के लिए पहले से बेहतर साबित हुआ कई पुरुषों को तो यह समझ नहीं आ रहा कि महिलाओं से किस लहजे में और किस संबोधन से बात करे | वहीं कुछ महिलाओं का मानना हैं कि बातचीत के तरीके में कोई फर्क नहीं आया हैं | लेकिन 5 साल पहले से तुलना करे तो शोषण के मामलों में काफी हद तक सुधार हुआ हैं |ऐसे मामलों में अब अपराधी पर कार्यवाही होती हैं पीड़िता की बात पर भरोसा किया जाता हैं | इस प्रकार के मामलों में महिला को चुप रहने की कोई ज़रूरत नहीं हैं इसके लिए अलग से एक कमेटी बनाई गई हैं जिसमें अनिवार्य रूप से महिला सदस्य हैं | अमेरिका में आधे से ज़्यादा मर्दों ने मीटू का समर्थन किया और 17% महिलाए विरोध में भी हैं | इसका सबसे ज़्यादा समर्थन युवाओ ने किया 18 से 19 साल के लड़के लड़कियां मजबूती से आंदोलन के साथ खड़े रहे इतनी महिलाओं का साथ मिलने से शोषण के मामलों और गलत नीतियों में अधिक बदलाव आया हैं |संस्थाए महिलाओं के साथ शोषण होने से रोकने के लिए और भी ज़्यादा जिम्मेदार और कार्यवाही के लिए मजबूर हुई हैं |
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