नई दिल्ली : सुप्रीमकोर्ट नें सूचना प्रौद्दोगिकी अधिनियम (आईटी एक्ट) -2000 की धारा 66ए में केस दर्ज करने पर गंभीर रूप से नाराजगी जताई थी | कोर्ट ने 2015 में श्रेया सिंघल मामले में 66ए को असंवैधानिक करार दिया था | चीफ जस्टिस यूयू ललित, जस्टिस एस रवींद्र भट अकार,, जस्टिस अजय रस्तोगी की पीठ ने राज्यों व केन्द्र्शासित प्रदेशों को निर्देश दिया कि 66ए में किसी पर न तो कोई मुकदमा चलाया जाए न किसी की एफआईआर दर्ज हो और न गिरफ्तारी की जाए | धरा 66ए को हटाने को कहा हैं सुप्रीमकोर्ट ने एनजीओ पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज़ की याचिका पर यह निर्देश दिए | कोर्ट ने कहा था कि यह अभिव्यक्ति की आज़ादी के मौलिक अधिकार 19 “1”ए के खिलाफ हैं | इसके बाद भी पुलिस इसके तहत केस दर्ज कर रही हैं | कोर्ट ने 5 जुलाई 2021 को भी 66ए के तहत एफआईआर होने पर आश्चर्य जताते हुए नोटिस जारी किया था, 2015 में धारा 66ए रद्द हुई थी तब इसके तहत 11 राज्यों में मामले दर्ज थे पिछले कुछ सालों में इन्हीं 11 राज्यों में 1,307 मामले दर्ज हो चुके हैं |
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