इंदौर : कोरोना काल में बच्चों के माता पिता के निधन के बाद परिवार में दादी, ताऊ, चाचा सब थे फिर भी बच्चों को अकेला रहने पर विवश कर दिया
बच्चों के माता पिता चिकत्सा से जुड़े थे | बेटी 17 वर्ष की हैं, पढ़ाई में होशियार हैं, 12वीं की पढाई पूरी कर चुकी हैं वह निजी कोचिंग करना चाहती थी | घर मे वह और एक छोटा भाई ही थे | परिवार वालों ने उनकी परवरिश का जिम्मा नही उठाया | बच्चो को 38 लाख रुपए माता पिता के क्लेम के मिले थे लेकिन नाबालिग होने के कारण सीधे बच्चो को नहीं मिल पाए, बल्कि दादी ने बिना बताए 18 लाख रुपए निकाल लिए प्रशासन को जब ये खबर लगी तो अफसरों ने न सिर्फ बच्चों के 17 लाख रुपए उनके खाते मे जमा करवाए बल्कि उनके खाने और पढ़ाई की व्यवस्था भी कर दी, ताकि बच्चों को किसी तरह की कोई परेशानी न हो अभी 21 लाख रुपए और दादी के अकाउंट मे ही जमा हैं | घर मे कोई खाना बनाने वाला नही था तो अफसरों ने टिफिन सेंटर में बोलकर उनके खाने का इंतेजाम भी किया बेटी और बेटे की पढ़ाई की व्यवस्था भी की ताकि वह आगे की पढ़ाई पूरी कर सके | अब अपर कलेक्टर बच्ची के बालिग होने का इंतज़ार कर रहे हैं बच्ची के बालिग होते ही माता पिता के क्लेम के पूरे पैसे बच्ची के अकाउंट मे जमा करवा दिए जाएंगे और एक अधीनस्थ अधिकारी की ड्यूटी भी लगा दी हैं ताकि बच्ची की ठीक से देखभाल हो सके |